आज भी उलझा है विधायक फंड का पेंच
रांची : काफी शोर-शराबे के बाद पांच वर्षो के कार्यकाल में विधायक मद में अगस्त 2014 में छठी बार जारी क
रांची : काफी शोर-शराबे के बाद पांच वर्षो के कार्यकाल में विधायक मद में अगस्त 2014 में छठी बार जारी की गई राशि को लेकर ग्रामीण विकास विभाग ऊहापोह में है। इसकी मूल वजह विधानसभा से इस्तीफा दे चुके बरहेट, चक्रधरपुर, विश्रामपुर और बहरागोड़ा के तत्कालीन विधायकों के फंड में राशि नहीं जारी किया जाना है। अब जबकि इन विधानसभा सीटों पर नए विधायक चुन कर आ गये हैं, चालू वित्तीय वर्ष के शेष दिनों (मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण की तिथि 28 दिसंबर 2014 के बाद से) की राशि उन्हें किस हिसाब से निर्गत की जाय, विभाग ने वित्त विभाग से दिशा-निर्देश मांगा है।
सामान्य तौर पर नए विधायकों का कार्यकाल अगर किसी वित्तीय वर्ष में तीन महीने से एक दिन भी अधिक रहता है तो वे विधायक मद में निर्गत 50 फीसद राशि के हकदार माने जाते हैं। 13 अगस्त 2014 को 82 (मनोनीत समेत) में से तत्कालीन 78 विधायकों के एमएलए फंड में प्रति विधायक तीन-तीन करोड़ रुपये जारी किये गये थे। विधानसभा से इस्तीफा दे चुकने के कारण तब निवर्तमान विधायक हेमलाल मुर्मू (बरहेट), लक्ष्मण गिलुआ (चक्रधरपुर),चंद्रशेखर दुबे (विश्रामपुर) तथा विद्युत वरुण महतो (बहरागोड़ा) को यह राशि नहीं मिली थी।
अब इसमें से आधी राशि पर हेमंत सोरेन (बरहेट), शशिभूषण सामड (चक्रधरपुर), रामचंद्र चंद्रवंशी (विश्रामपुर) तथा कुणाल षाड़ंगी (बहरागोड़ा) का हक बनता है। यदि विधायकों का कार्यकाल नौ महीने से अधिक रहता तो शत प्रतिशत राशि उनके खाते में जारी की जाती है। शेष 78 नव निर्वाचित विधायकों के खाते में बीते वित्तीय वर्ष की शेष बची राशि (तत्कालीन विधायकों के नाम निर्गत) स्वत: हस्तांतरित हो जाएगी।