सब जोनल कमांडर सुनील गंझू को दस वर्ष की सश्रम कैद
रांची : पोटा मामले में माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआइ) के सब जोनल कमांडर नेमधारी गंझू
रांची : पोटा मामले में माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआइ) के सब जोनल कमांडर नेमधारी गंझू उर्फ सुनील गंझू उर्फ बादल को दस वर्ष की सश्रम सजा सुनाई गई है। दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना की राशि नहीं देने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।
प्रधान न्यायायुक्त सह पोटा मामले के विशेष न्यायाधीश एसएच काजमी की अदालत ने गुरुवार को उसे पोटा की विभिन्न धाराओं व सीएलए एक्ट के तहत वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सजा सुनाई।
चतरा जिले के सिमरिया थाना क्षेत्र के सिमरातरी गांव का रहनेवाला सुनील दूसरे मामले में चतरा जेल में बंद है। कोर्ट ने उसे मंगलवार को दोषी ठहराया था। उसके खिलाफ दो फरवरी 2004 को हजारीबाग के केरेडारी थाना प्रभारी अवर निरीक्षक सतीश चंद्र झा ने पोटा मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले में अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक बीएन शर्मा ने बहस की। सुनील गंझू की गिरफ्तारी पिपरवार में लेवी वसूलने व संगठन के प्रचार-प्रसार के लिए जाते हजारीबाग के केरेडारी थाना अंतर्गत कोदवे-लोचर मार्ग पर मुंगवाटांड़ के समीप से हुई थी। उसके पास से नक्सली साहित्य जब्त किए गए थे। उस पर दर्जनों उग्रवादी कांडों में संलिप्त होने का आरोप है। दर्ज प्राथमिकी के अनुसार उसके खिलाफ मुख्य रूप से डेमाटांड़ पुलिस राइफल लूट, बनासो बैंक डकैती, तिसकोपी पुलिस मुठभेड़, गंगाधर यादव व उसकी पत्नी की हत्या करने, भूखन गंझू व युगल किशोर सिंह की हत्या आदि दर्जनों उग्रवादी कांडों में संलिप्त होने का आरोप है।
इन धाराओं में सुनाई गई सजा :
लोक अभियोजक बीएन शर्मा ने बताया कि पोटा की धारा 3(2) के तहत दस वर्ष की सश्रम सजा व पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया। साथ ही 20 (2) के तहत सात वर्ष की सजा सुनाई। 22(5) में दस वर्ष की सश्रम कैद व पांच हजार जुर्माना लगाया। वहीं 17 सीएलए एक्ट के तहत तीन वर्ष की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि नहीं देने पर तीन-तीन माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।