देवघर ग्लाइडर दुर्घटना में पायलट और कंपनी के भूमिका की होगी जांच
रांची : देवघर एयर स्ट्रिप पर सात अगस्त 2013 को हुए मोटर ग्लाइडर दुर्घटना मामले में अब मुख्य सचिव सजल
रांची : देवघर एयर स्ट्रिप पर सात अगस्त 2013 को हुए मोटर ग्लाइडर दुर्घटना मामले में अब मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने भी राज्य सरकार के पायलट और मेंटेनेंस करने वाली कंपनी की भूमिका की जांच कराने की बात कही है। शनिवार को प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि मामले में डीजीसीए की रिपोर्ट मिली है। इसमें लॉग बुक को लेकर ग्लाइडर मेंटेनेंस करने वाली कंपनी और राज्य सरकार के पायलट की चूक बताई गई है। इस मामले में वे कंपनी के खिलाफ कार्रवाई से पूर्व विशेषज्ञ की सलाह लेंगे। इस मामले में 'दैनिक जागरण' ने दो जनवरी 2015 के अंक में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी।
चक्रवर्ती ने यह भी कहा कि डीजीसीए की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी और पायलट द्वारा देवघर से ग्लाइडर को मेंटेनेंस के लिए रांची लाया गया था। लेकिन कंट्रोल टावर के मुताबिक ग्लाइडर देवघर से रांची नहीं आया था। आता तो इसकी सूचना कंट्रोल रूम को होती।
राज्य सरकार ने एयर बोन कंपोनेंट रिपेयर एंड सर्विस प्रा. लि. दिल्ली (एससीआरएस) की कंपनी को ग्लाइडर के मेंटेनस की जवाबदेही सौंपी थी। कमेटी ने जांच में पाया कि ग्लाइडर का अंतिम मेजर इंस्पेक्शन छह अप्रैल 2013 को किया गया था। इसके बाद उसका लोअर इंस्पेक्शन 29 जुलाई 2013 को होना था। वह इंस्पेक्शन शिड्यूल में दर्ज था लेकिन बिना इंस्पेक्शन के ही ग्लाइडर की उड़ान भरी गई थी। सीएस ने कहा कि 180 डिग्री पर ग्लाइडर को टर्न करना पायलट की मजबूरी थी।
नार्म्स के तहत होगी बारूद की सप्लाई
मुख्य सचिव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बारूद की आपूर्ति नार्म्स के तहत कराने के एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसा करने से इसका गलत इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। उन्होंने उग्रवादियों तक पहुंच रहे सरकारी कारतूसों और सांसदों की सुरक्षा के मामले में भी उचित कार्रवाई की बात कही।