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परिवहन विभाग को और कर्मियों के मरने का इंतजार!

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 01:27 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 01:27 AM (IST)

रांची : परिवहन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता की वजह से पथ परिवहन निगम के सेवानिवृत्त कर्मिचारियों का भुगतान नहीं हो रहा है। अभाव और बीमारी से कर्मचारी मरते चले जा रहे हैं, फिर भी अधिकारियों पर कोई असर नहीं हो रहा है। अधिकारियों के रवैये से ऐसा लगता है कि उन्हें शायद कुछ और कर्मचारियों के मरने का इंतजार है। छह कर्मचारियों के मरने की खबर के बाद भी विभाग की नींद नहीं खुली है। भुगतान के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है।

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डीटीओ सह निगम के प्रभारी प्रमंडलीय प्रबंधक राजेश कुमार की ओर से भुगतान को लेकर लिखे गए पत्रों का जवाब तक नहीं मिला है। किसी को दाने-दाने को मोहताज कर्मचारियों की गुहार सुनाई पड़ रही है। डीटीओ की मांग पर निगम के चार कर्मचारियों की यदि प्रतिनियुक्ति कर दी गई होती भुगतान हो गया होता।

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पैसा रहने के बावजूद भुगतान नहीं :

आमतौर पर पैसे की कमी सेकर्मचारियों का भुगतान नहीं होता है। लेकिन यहां मामला उल्टा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के भुगतान के लिए बैंक में 4 करोड़ 84 लाख रुपये मार्च से पड़ा है। दो करोड़ रुपये कर्मचारियों के सीपीएफ खाते में भी है। निगम के कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट के बार-बार की लताड़ के बावजूद अधिकारियों का टालू रवैया नहीं बदला। अधिकारी एक-दूसरे पर फेंका-फेंकी कर रहे हैं।

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मुख्य सचिव के पास है परिवहन विभाग

प्रभारी मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती के पास ही परिवहन विभाग है। दूसरे विभाग के अधिकारियों पर काम नहीं करने का आरोप लगाने वाले मुख्य सचिव के विभाग के अधिकारी ही काम करने को तैयार नहीं है। यदि तैयार होते तो निगम के कर्मचारी पैसे के बिना नहीं मरते। निगम के कर्मचारियों की समस्याओं से खुद मुख्य सचिव भी अवगत है।

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भुगतान की जिम्मेदारी डीटीओ की : उप सचिव

परिवहन विभाग की उप सचिव नेम्हा बाखला का कहना है कि भुगतान की जिम्मेदारी डीटीओ की है। उनको प्रभार दिया गया है। इस मामले में विभाग कुछ नहीं कर सकता। वह खुद कर्मचारियों की व्यवस्था कर भुगतान कराएं। विभाग की ओर से कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति संभव नहीं है। निगम के कर्मचारी विभिन्न जिलों के डीसी के अधीन भेजे जा चुके हैं।

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