2000 चापाकल में 1200 खराब
ओरमांझी : ओरमाझी प्रखंड के ग्रामीणों को इन दिनों पेयजल जैसी मूलभूत समस्या से जूझना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। सभी गावों में एक-दो चापाकल को छोड़कर सभी बेकार पड़ा हुआ है। यूं कहें कि एक चापाकल पर हजार की आबादी निर्भर है, तो प्यास बुझेगी कहा से। इसका कारण भी है। पंचायत चुनाव के बाद प्रदेश सरकार ने पेयजल व स्वच्छता विभाग का काम गाव की सरकार के हवाले कर दिया है। तबसे चापाकल मरम्मत का काम मुखिया के जिम्मे है। चापाकल मरम्मत के लिए प्रत्येक मुखिया के बैंक खाते में 25 से तीस हजार रुपया निर्गत किया गया है। बावजूद सभी पंचायतों के साठ फीसदी चापाकल मरम्मत के अभाव में खराब पड़े हुए हैं। मरम्मत के लिए सभी मुखिया के पास औजार व प्रशिक्षित लोग भी हैं।
पूरे प्रखंड में लगभग दो हजार चापाकल हैं। इसमें लगभग 12 सौ खराब हैं। किसी का पाइप फटा हुआ है, तो किसी का सिलेंडर खराब हो गया है। वहीं, कई से लाल पानी निकलता है। ग्रामीण खराब चापाकल की शिकायत लेकर या तो विभाग के कार्यालय पहुंचते हैं या बीडीओ कार्यालय। दोनों जगहों से आवेदन मुखिया को अग्रसरित कर दिया जाता है। मुखिया के पास आवेदन पड़ा रह जाता है। पूछने पर कहते हैं कि अभी आदमी नहीं है, आएगा तो बनवा देंगे।
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काम नहीं है विभाग के कर्मियों के पास
ओरमाझी पीएचइडी में जेई को छोड़कर 13 आदमी हैं। इसमें पाच हैंड पंप मिस्त्री हैं। इनका वर्तमान में कोई काम नहीं है। कार्यालय आते हैं बैठते हैं चले जाते हैं। यह बात कार्य निरीक्षक भी स्वीकार करते हैं। विभाग के पास कोई वाहन नहीं है। मिस्त्री को कहीं जाने का आदेश भी नहीं है। छह कर्मी पानी सप्लाई में हैं। पानी सप्लाई प्रत्येक सुबह मात्र एक घटे के लिए होती है।
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चापाकल मुखिया को बनवाना है। इसके लिए पैसा भी निर्गत किया जा चुका है। वे इसपर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में हमलोग गाव-गाव में जाकर चापाकल बनवाएंगे।
- रजनीश कुमार, बीडीओ
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