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आजादी से अबतक पक्की सड़क से नहीं जुड़ा महुडंड

हुसैनाबाद, पलामू : हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र में 22 नवंबर को संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के म

By Edited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 06:40 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 06:40 PM (IST)
आजादी से अबतक पक्की सड़क से नहीं जुड़ा महुडंड

हुसैनाबाद, पलामू : हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र में 22 नवंबर को संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मतदान ने एक बार फिर हुसैनाबाद प्रखंड के महुडंड पंचायत की समस्याओं को चर्चा में ला खड़ा किया है। यद्यपि यहां शांतिपूर्ण माहौल में मतदान हुआ। बावजूद सड़क की समस्या के कारण बैलेट बाक्स को अगले दिन वज्रगृह में जमा किया गया। प्रशासन की इस विवशता को लेकर स्थानीय लोगों के बीच चर्चा शुरू हो गई हे। यहां चुनाव कराने आए मतदानकर्मियों के बीच भी यहां के विकास की बदहाली पर चर्चा होती रही। सड़क की समस्या के कारण मतदान कर्मियों से लेकर पुलिस प्रशासन तक परेशान दिख रहे थे। यहां की स्थिति ऐसी है कि सड़क नहीं है। इस कारण इस पंचायत के सलईया टीकर, लोहबंधा, फटिया आदि गांवों में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव में कोई भी प्रत्याशी व उनके कार्यकर्ता प्रचार के लिए आजादी से लेकर अब तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसा नहीं है कि महुडंड पंचायत को सड़क से जोड़ने के प्रयास नहीं हुआ। बावजूद इस दिशा में अब तक हुए सभी प्रयास अधूरे ही रह गए हैं। जपला-छतरपुर रोड से महुडंड तक लगभग 15 किमी सड़क का कार्य दस साल पूर्व शुरू किया गया था। बावजूद उग्रवादियों के निशाने पर आने के कारण सड़क निर्माण बाधित हुआ। तीन वर्ष पूर्व भी सड़क निर्माण कार्य शुरू कराया गया। इसे उग्रवादियों ने फिर से लेवी की मांग कर रोक दिया। हालांकि तब ग्रामीणों ने उग्रवादियों के इस कार्रवाई का विरोध भी किया था। बावजूद सड़क निर्माण कार्य बंद ही रहा। इसके बाद से सड़क निर्माण शुरू करने की पहल अब तक नहीं की गई है। चुनाव के समय सड़क को लेकर अकसर चर्चा होने लगती है। बाद में इस चर्चा को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। जपला-छतरपुर रोड से तीस किमी की दूरी तय कर पहाड़ी रास्ते से होकर महुडंड पंचायत के गावों को जोड़ते हुए मोहम्मदगंज तक सड़क जाती है। कभी हुसैनाबाद के एसडीपीओ रहे अजीत पीटर डुंगडुंग ने श्रमदान के माध्यम से मोहम्मदगंज से माहुर गांव तक दस किमी सड़क बनवाई थी। साथ ही ग्रामीणों के बीच कंबल, धोती आदि वस्त्रों का वितरण भी कराया था। इनके इस प्रयास को ग्रामीण आज भी याद करते हैं। इसके बाद महुडंड पंचायत के गावों को सड़क से जोड़ने के प्रयास नहीं हो रहे है। बताते चलें कि महुडंड से विश्रामपुर प्रखंड मुख्यालय की दूरी महज 12 किमी है। इस सड़क को भी जन सहयोग से ही श्रमदान कर पहाड़ी को काट कर बनाया गया था। वह भी अब तक उपेक्षित है। इन सभी सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया जाता तो कई ओर से सड़क मार्ग से महुडंड जैसे उग्रवाद प्रभावित गांवों में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी आसानी ने पहुंच सकते हैं। साथ ही ग्रामीण भी सड़क मार्ग से जुड़ जाते।

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