सत्संग की महिमा अपरंपार
मेदिनीनगर : सत्संग की महिमा अपरंपार है। सत्संग व भगवत भजन से मनुष्य के सारे पाप संताप कट जाते हैं। उ
मेदिनीनगर : सत्संग की महिमा अपरंपार है। सत्संग व भगवत भजन से मनुष्य के सारे पाप संताप कट जाते हैं। उक्त बातें दिल्ली बालाधाम से पधारी बाल साध्वी राधा देवी ने कही। वे सोमवार की रात स्थानीय साहित्य समाज स्थित तुलसी मानस मंदिर परिसर में आयोजित श्री रामचरितमानस नवाह्न परायण पाठ महायज्ञ में प्रवचन कर रही थी। उन्होंने कहा कि भगवत प्राप्ति के लिए सत्संग जरूरी है। तुलसी बाबा ने मानस में लिखा है। बिनु सत्संग विवेक ना होई। रामकृपा बिनु सुलभ ना होई। अर्थात सत्संग के बिना विवेक की प्राप्ति नहीं होती ऊपर यह हरिकृपा से ही संभव है। पंडित विनोद पाठक ने संगीतमय रामकथा कही। इधर मंगलवार को दिन में मानस पाठ के सातवें दिन का परायण हुआ। पंडित सुवंश पाठक ने पाठ परायण कराया।
बाक्स..मर्यादा पुरूषोत्तम के आदर्शों को जीवन में उतारें : शंभूशरण
फोटो 24 डालपी 21
कैप्शन- प्रवचन करते शंभू शरण
संसू, मेदिनीनगर : मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के आदर्शों को जीवन में उतारें। श्री राम के आदर्शों को आत्मसात कर ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है। उक्त बातें मिथिला बिहार से पधारे कीर्तन सम्राट श्री शंभूशरण ¨सह सरोज ने प्रवचन के दौरान कही। वे मंगलवार को तुलसी मानस मंदिर परिसर में प्रवचन कर रहे थे। कहा कि रामचरितमानस मानव जीवन के पारस्परिक संबंधों की उच्चतम व्याख्या की गई है। मनुष्य तो क्या पशु पक्षियों ने भी तुलसी बाबा के मानस में आदर्शयुक्त आचरण की प्रस्तुति की है।