प्रमंडल के 2280 वनवासियों को मिला है पट्टा
मेदिनीनगर : स्थानीय आयुक्त कार्यालय में बुधवार को वन अधिकार अधिनियम 2006 व आपदा प्रबंधन की समीक्षा ब
मेदिनीनगर : स्थानीय आयुक्त कार्यालय में बुधवार को वन अधिकार अधिनियम 2006 व आपदा प्रबंधन की समीक्षा बैठक की गई। इसकी अध्यक्षता पलामू के आयुक्त जेपी लकड़ा ने की। समीक्षा में पाया गया कि प्रमंडल के 2280 वनवासियों को बुधवार तक 4195.33 एकड़ जमीन का पट्टा दिया जा चुका है। इसमें पलामू के वनवासियों को 1900.58 एकड़, गढ़वा के 868.36 व लातेहार जिला के वनवासियों के बीच 1426.35 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। बताया गया कि उक्त तीनों जिलों से 8413 आवेदन प्राप्त हुए थे। इसमें से 1756 आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है। 3203 आवेदन विचाराधीन हैं। अब तक ग्रामसभा स्तर से 4211 आवेदनों को स्वीकृत किया गया था। सब डिवीजनल लेबल कमेटी ने इनमें से 3886 आवेदनों को स्वीकृति प्रदान कर जिला लेवल कमेटी को भेजी थी। जिला कमेटी ने 3378 आवेदनों को स्वीकृति प्रदान की थी। इसमें से 2280 वनवासियों को अब तक भूमि का पट्टा दिया जा चुका है।
इससे पूर्व बैठक में वन अधिकार अधिनियम पर सरकार द्वारा जारी प्रपत्र पर उपायुक्तों से प्रतिवेदन की मांग की गई। बैठक में पलामू के उपायुक्त के श्रीनिवासन व गढ़वा के उपायुक्त ए मुथु कुमार शामिल हुए। लातेहार के डीसी बैठक में शामिल नहीं हो सके। आयुक्त को पलामू व गढ़वा के उपायुक्त ने वनवासियों के बीच भूमि का पट्टा देने में उत्पन्न समस्याओं से अवगत कराया। बताया कि वन विभाग के पदाधिकारियों का सहयोग नहीं मिल रहा है। इस कारण पट्टा निर्गत करने में कठिनाई हो रही है। बड़ी संख्या में गैर-वनवासी आदिवासियों ने भी भूमि पट्टा के लिए आवेदन दे रखा है। इस कारण भी समस्या उत्पन्न हो रही है। आयुक्त ने निर्देश दिया कि स्थल का निरीक्षण कराकर वास्तविक वनवासियों के बीच ही भूमि का पट्टा दिया जाए।
जानकारी के अनुसार झारखंड के मुख्य सचिव राजीव गोबा दो मई को पलामू जिला मुख्यालय स्थित डीआरडीए सभागार में प्रमंडल स्तरीय समीक्षा बैठक करेंगे। इसकी तैयारी को लेकर ही आयुक्त ने उक्त बैठक बुलाई थी। बैठक में उप निदेशक कल्याण भूजेंद्र बास्की, अवर सचिव हाशिम अंसारी, सचिवालय सहायक रंजीत कुमार आदि उपस्थित थे।
आपदा प्रबंधन के लिए डीसी ने मांगी राशि
मेदिनीनगर : आयुक्त की समीक्षा बैठक में पलामू के डीसी के श्रीनिवासन ने बताया कि सूखा राहत मद के लिए सरकार ने 2014 में राशि उपलब्ध कराई थी। राशि 31 मार्च को सरेंडर कर दी गई। इधर 2014 में पड़े सूखे का असर अब दिखने लगा है। कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। राशि नहीं रहने के कारण समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। उन्होंने आयुक्त से अनुरोध किया कि राशि उपलब्ध कराई जाए।