चार साल से बंद है राजहारा कोलियरी
पंडवा, पलामू : पलामू के पंडवा स्थित सीसीएल की राजहारा कोलियरी में चार साल से उत्पादन ठप है। 2010 दस में राजहारा खादान में पानी भर जाने के कारण उत्पादन बंद कर दिया गया था। तीन साल तक लगातार कछुआ गति से पानी की निकासी होती रही। 2013 में खादान से पानी सूखा दिया गया। लेकिन उत्पादन शुरू नहीं हो सका।
सूत्रों की मानें तो खदान में पानी भर जाने व रिवर साइट होने के कारण सुरक्षा कारणों से डीजीएमएस सेक्सन 22 लगा दिया। तब से लगभत दो साल बीत जाने के बाद भी सेक्सन 22 नहीं हटाया गया। इस कारण कोलियरी को चालू नहीं किया जा सका। जानकार बताते हैं कि जिस सदाबह नदी को लेकर सुरक्षा कारणों का हवाला दिया गया है उसमें पीछले वर्ष पानी आया ही नहीं।
विभागीय सूत्रों की मानें तो डीजीएमएस द्वारा तत्काल सेक्सन 22 हटाने की संभावना नहीं है। दो माह बाद बरसात समाप्त होने के बाद सेक्सन 22 हटाया जा सकता है। जिस गति से पानी निकासी व सुरक्षा कारणो के कारण खादान को बंद कर दिया गया है, उससे प्रतित होता है कि सार्वजनिक उपक्त्रम सीसीएल राजहारा कोलियरी के प्रति सीसीएल प्रबंधन का रवैया उदासीन है।
--------------
पुराने हो चुके यंत्र
सीसीएल राजहारा के प्रति सीसीएल मुख्यालय कितना संजिदा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोलियरी से कोयला निकालने वाले यंत्र काफी पुराने हो चुके हैं। जिस शाबल मशीन का इस्तेमाल कोयला खनन के लिए किया जाता है, वह 30 साल पुरानी है। इसे बिजली से चलाया जाता है। वहीं डोजर भी काफी पुराना हो चुका है। हमेशा इसमें खराबी आती रहती है। ऐसे में सवाल उठता है कि राजहारा चालू हो भी जाए तो क्या लगातार उत्पादन किया जा सकता है।
--------------
प्रचुर मात्रा में है भंडार
जानकारों की मानें तो राजहारा में 50 मिट्रिक टन का भंडार है। 50 से भी अधिक सालों तक उत्पादन किया जा सकता है। कोयले और ओबी का रेशियों काफी फायदेमंद है।
--------------
इंटक नेता व मंत्री कर चुके हैं दौरा
राजहारा कोलियरी चालू कराने को ले झारखंड सरकार के वर्तमान मंत्री सह इंटक अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने जून माह में दौरा किया था। तब उन्होंने कहा था कि सीसीएल प्रबंधन से वार्ता कर जून माह में ही कोलियरी से उत्पादन शुरू कराने का प्रयास करेंगे। लेकिन दो माह बीत जाने पर भी उत्पादन शुरू नहीं हो सका।
बाक्स..
होते रहे हैं आदोलन
राजहारा सीसीएल चालू कराने को ले स्थानीय जनप्रतिनिधि व राजनीतिक दलों द्वारा लगातार आदोलन चलाए जाते रहे हैं। इसे लेकर राजहारा बचाओं संघर्ष समिति ने पिछले डेढ़ साल से आदोलन चला रखा है। फिर भी प्रबंधन पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे में प्रबंधन का रूख संशय के घेरे में है।
बाक्स..
फोटो : 24 डालपी 36
कैप्शन - राजन मेहता
सीसीएल प्रबंधन की लापरवाही व उदासीनता के कारण उत्पादन बंद है। निजी कंपनी के हाथों बिकने नहीं दिया जाएगा। जल्द उत्पादन शुरू नहीं किया गया तो आदोलन और जोर पकड़ेगा।
राजेश मेहता उर्फ राजन, जेवीएम नेता
फोटो : 24 डालपी 37
कैप्शन - शारदा देवी
एशिया फेम की इस कोलियरी को हमेशा के लिए बंद करने की साजिश हो रही है। राजहारा चालू रहने से लोगों को रोजगार मिलता था। एक तरफ सरकार रोजगार देने की बात करती है दूसरी तरफ सार्वजनिक उपक्त्रम को बंद किया जाना सही नहीं है।
शारदा देवी, प्रमुख पंडवा
फोटो : 24 डालपी 38
कैप्शन - वीरेंद्र कुमार सिंह
जिलास्तरीय जनप्रतिनिधियों को इसे चालू कराने की पहल करनी चाहिए। यह पंडवा ही नहीं देश का एक प्रतिष्ठित कोलियरी है। इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोजगार मिलता है।
विरेंद्र कुमार सिंह, उपप्रमुख पंडवा पलामू।
फोटो : 24 डालपी 39
कैप्शन - शत्रुघ्न कुमार शत्रु
साजिश के तहत सीआइएल से नन सिआइएल कर आउटसोर्सिंग का दरवाजा निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया। इसे बंद करने में सीसीएल प्रबंधन, कोल इंडिया, कोयला मंत्री व प्रधानमंत्री सहित सभी की भूमिका निहित है। आज तक पुराने उपकरण के नाम पर केवल पैसा खाया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों द्वारा पंडवा की जनता को मुर्ख बनाया जा रहा है। लेकिन समिति आदोलनरत है और अंतिम दम तक आदोलनरत रहेगी।
शत्रुध्न कुमार शत्रु, अध्यक्ष, राजहारा बचाओ संघर्ष समिति पंडवा पलामू