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विधानसभा हंगामे पर भी संज्ञान ले हाई कोर्ट: हेमंत

पूर्व मुख्यमंत्री व प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने हाई कोर्ट को सुझाव दिया है कि वह विधानसभा में हुए हंगामे पर संज्ञान ले।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 29 Nov 2016 05:30 AM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2016 05:41 AM (IST)
विधानसभा हंगामे पर भी संज्ञान ले हाई कोर्ट: हेमंत

जागरण संवाददाता, पाकुड़। पूर्व मुख्यमंत्री व प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने हाई कोर्ट को सुझाव दिया है कि वह विधानसभा में हुए हंगामे पर संज्ञान ले। इस बाबत उन्होंने हालिया बंद को लेकर हाई कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया। वे सोमवार को बरहेट जाने के दौरान पाकुड़ परिसदन में मीडिया से रूबरू थे।
हेमंत सोरेन ने सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक पर पुराना राग अलापते हुए चेतावनी दी कि झारखंड के लोग शांत हैं पर कमजोर नहीं। शांतिपूर्ण आंदोलन करने वालों का सरकार यदि दमन करेगी तो प्रतिकार होगा। हाई कोर्ट ने बंद के दौरान संपत्ति का नुकसान पहुंचाने वालों पर जुर्माना की बात कही है, उसी प्रकार कोर्ट को संशोधन विधेयक के दौरान हुई सदन की कार्रवाई पर भी संज्ञान लेना चाहिए।

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बीजेपी को छोड़कर राज्य की सभी पार्टियां व विभिन्न संगठनों के लोगों ने एसपीटी व सीएनटी एक्ट में संशोधन का विरोध किया है। सत्तारूढ़ दल के भीतर भी इस संशोधन का जबर्दस्त विरोध है। हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि रघुवर सरकार ने विधानसभा में बाहर के लोगों को बुलाकर बिल पास कराया गया है। इस संशोधन से आदिवासी व मूलवासी सशक्त नहीं होंगे बल्कि संशोधन उनके विनाश का कारण बनेगा। इसके पहले भी एक्ट में कई संशोधन हुए हैं पर पूर्व के संशोधन में जमीन की प्रकृति बदलने की ताकत नहीं थी। जिस बिल से राज्य के 90 फीसद लोग प्रभावित होते हों, उसे विधानसभा में लाने के पहले बहस कराना चाहिए था।

घर-घर से होगा संशोधन विधेयक का विरोध : हेमंत
जागरण संवाददाता, बरहेट (साहिबगंज)। बरहेट के नौगछिया मैदान में सोमवार को जनसभा में प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन का घर-घर से जबर्दस्त विरोध होने की चेतावनी दी। एक्ट में जबरन संशोधन पर रघुवर सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा। प्रत्येक घर से आदिवासी निकलकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे। हम राज्य के प्रत्येक गांव जाएंगे। घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करते हुए एक्ट में संशोधन के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस ग्राम प्रधान की अनुमति क बिना न तो गांव में घुसे व न ही निर्दोषों को पकड़े।
सोरेन ने कहा कि राज्य के आठ हजार आदिवासी जेल में हैं। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव के समय पतना के जनसभा में कहा था कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट में कोई बदलाव नहीं होगा परंतु उनके शासनकाल में ही भाजपा सरकार ने विधानसभा में संशोधन बिल पारित करवा दिया। इतना ही नहीं, सरकार ने पुलिस बहाली में लम्बाई का बोझ डाल दिया है, जबकि यहां के आदिवासी युवकों की लंबाई कम है। साथ ही इंटर तक की शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है जिससे यहां के कम पढ़े-लिखे आदिवासी नौकरी पाने से वंचित रह जाएं।

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