यहां एक-एक महिला दस-दस महिलाओं को बना रहीं है साक्षर
पाकुड़ में जल रही साक्षरता की मशाल, एक-एक महिला दस-दस महिलाओं को बना रहीं साक्षर जिले की करीब 40 फीसद महिलाएं हो चुकीं हैं शिक्षित।
पाकुड़, [ गणोश पांडेय ] । पाकुड़ शिक्षा के क्षेत्र में राज्य का सबसे पिछड़ा जिला है। जिले में साक्षरता दर बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2012 में साक्षर भारत अभियान की शुरुआत हुई। महिलाओं को इस अभियान से जोड़ने और उन्हें साक्षर बनाने के लिए 128 लोक शिक्षा केंद्र खोले गए। एक केंद्र में दो प्रेरकों की बहाली भी की गई। शुरुआती दौर में साक्षर भारत अभियान से जुड़े पदाधिकारियों को काफी मेहनत करनी पड़ी।
महिलाओं को जागरूक करने के लिए डोर-टू-डोर जाना पड़ा। अथक प्रयास की बदौलत असाक्षर महिलाओं ने लोकशिक्षा केंद्रों में पढ़ाई शुरू की। अब तक 40 फीसद महिलाएं साक्षर हो चुकी हैं। जो महिलाएं इन केंद्रों में शिक्षित हुईं उनमें से एक-एक महिला दस-दस असाक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने में जुटी हैं। इस तरह यहां साक्षरता की मशाल जलने लगी है।
गांव की सरकार में शामिल हैं साक्षर महिलाएं:
जिले के महेशपुर और पाकुड़िया प्रखंडों की कई महिलाएं पूर्णरूप से साक्षर होकर पंचायती राज व्यवस्था में मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य एवं प्रमुख के पद पर काबिज हैं। ये महिलाएं अब भी अपने पास-पड़ोस की दस असाक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने में जुटी हैं। ये सभी महिलाएं वर्ष 2013-14 तक असाक्षर थीं।
साक्षर बनने के बाद इन्होंने इसे मिशन के रूप में लिया है। महेशपुर प्रखंड की कानीझाड़ा पंचायत अंतर्गत इंगलिश पाड़ा गांव निवासी बेउला मालपहाड़िया इस समय मुखिया का दायित्व संभाल रही हैं।
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