निस्वार्थ बंधुत्व कभी टूटता नहीं : आचार्य दुर्गेश
हिरणपुर(पाकुड़): डांगापाड़ा में आयोजित रामकथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन प्रवचन करते हुए वृंदावन के स्वाम
हिरणपुर(पाकुड़): डांगापाड़ा में आयोजित रामकथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन प्रवचन करते हुए वृंदावन के स्वामी दुर्गेश नंदन जी महाराज ने कहा कि निस्वार्थ मित्रता कभी टूटता नहीं। मित्रता में प्रेम, समर्पण व आपसी विश्वास का जगह रहना चाहिए। आचार्य ने कृष्ण व सुदामा की मित्रता का बखान करते हुए कहा कि गरीब सुदामा के साथ श्रीकृष्ण ने मित्रता का निर्वहन गुरुकुल से लेकर अंतिम समय तक किया। गुरुकुल में कृष्ण की गलतियों को स्वंय अपने ऊपर लेकर सुदामा ने मित्रता की मिशाल कायम की। उसी वक्त श्रीकृष्ण ने कहा था कि सूर्य चन्द्र निकलना बंद हो सकता है पर हम दोनों की मित्रता शेष नहीं होगी व समय आने पर इसी मित्रता का लाज रखूंगा। कालांतर में श्रीकृष्ण ने गरीब सुदामा को राज सिंहासन में बैठाकर मित्रता का कर्तव्य निभाया। आचार्य ने कहा कि आज बिगाड़ने वाले मित्र बहुत मिल जाता हैं पर सच्चा मित्र भगवान से जोड़ता है। राम कथा में वनवास कालीन राम सीता को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर मोहनलाल भगत, राहुल रत्न दास, आनंद भंडारी , वकील सोरेन, दिवाकर, भास्कर, कुंदन भंडारी, मिठु पण्डित आदि उपस्थित थे।