एक माह से समर्पण का प्रयास कर रहा था नक्सली सुनील
फोटो फाइल संख्या 16 पीकेआर 1 में -करीब चार वर्षो से नक्सली गतिविधि से दूर था सुनील -पुलि
फोटो फाइल संख्या 16 पीकेआर 1 में
-करीब चार वर्षो से नक्सली गतिविधि से दूर था सुनील
-पुलिस दबिश के कारण काम करने पंजाब चला गया था नक्सली
-समर्पण करने के लिए तत्कालीन थाना प्रभारी रंजीत ¨मज से लगातार कर रहा था संपर्क
-आत्मसमर्पण के बाद खुला जेल में रहने की जताई थी इच्छा
जागरण संवाददाता, पाकुड़ : जिले के अमड़ापाड़ा थाना क्षेत्र के बारगो गांव निवासी नक्सली सुनील मरांडी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए करीब एक माह से लगातार प्रयास कर रहा था। इसके लिए वह अमड़ापाड़ा थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी रंजीत ¨मज के संपर्क में था। हालांकि सुनील करीब तीन-चार वर्षो से नक्सली गतिविधियों से दूर था। पुलिस दबिश के कारण वह काम करने के लिए पंजाब चला गया था। पुलिस को जब पता चला कि सुनील मुख्यधारा में लौटना चाहता है तो उसका आत्मसमर्पण कराने का प्रयास तेज कर दिया गया। आत्मसमर्पण के बाद सुनील ने खुले जेल में रहने की इच्छा जाहिर की थी।
पुलिस सूत्रों की मानें तो वर्ष 2009-10 में नक्सली दस्ता बारगो व उनके आसपास के गांवों में डेरा जमाये हुए थे। नवयुवकों को नक्सली संगठन से जोड़ने का काम चल रहा था। नक्सलियों के झांसे में सुनील भी आग गया। नक्सली संगठन के मुखिया ने उन्हें प्रलोभन देकर अपना सदस्य बना लिया। नक्सली संगठन से जुड़ने के बाद वह पहली बार अपने साथियों के साथ वर्ष 2011 में अमड़ापाड़ा थाना क्षेत्र के पचुवाड़ा गांव निवासी सोनाराम हेम्ब्रम के घर में धावा बोल सिस्टर वालसा की हत्या मामले में शामिल हुए। वर्ष 2011 में ही अमड़ापाड़ा थाना क्षेत्र के एक पुलिया में केन बम लगाने व वर्ष 2012 में फाय¨रग कर एक की हत्या कर वाहन फूंकने की घटना को भी अंजाम दिया था। वालसा हत्या कांड में शामिल लगभग सभी अपराधियों ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था, जबकि पुलिस दबिश के कारण सुनील इलाका छोड़कर पंजाब चला गया। चार वर्षो तक बाहर रहने के कारण लाल आतंक से उसका मोहभंग हो गया और मुख्यधारा में लौटने का फैसला कर लिया।
मां की ममता ने सुनील को खींच लाया
नक्सली सुनील अपने पिता स्व. सोम मरांडी व माता फूल हांसदा का एकलौता पुत्र है। परिवार चलाने का जिम्मा उसी के कंधों पर था। सुनील की पत्नी सुशीला हांसदा के अलावा तीन बेटियां क्रमश: प्रियंका, नीलिमा व संतोषिणी मरांडी भी है। सुनील ने एक पुलिस पदाधिकारी से दूरभाष पर संपर्क कर उन्हें बताया था कि वह अपनी मां व बच्चों के लिए फिर से मुख्यधारा में लौटना चाहता है। खूनी खेल से दूर हटकर मां की सेवा करना चाहता है। उक्त पुलिस पदाधिकारी ने इसकी सूचना वरीय पदाधिकारियों को दी। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन ने ग्रामीणों के माध्यम से उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास शुरू कर दिया। सुनील के मुख्यधारा में लौटने के बाद परिजनों में खुशी का माहौल है।
वर्जन...
नक्सली सुनील को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए काफी दिनों से प्रयास किया जा रहा था। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापामारी भी कर रही थी। पुलिस उसके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराएगी।
अजय ¨लडा, पुलिस अधीक्षक
पाकुड़