गजनी को आदर्श बनाने का सपना नहीं हुआ पूरा
.. तत्कालीन उपायुक्त की घोषणा के बाद भी आदर्श गांव नहीं बना कैरो प्रखंड का गजनी गांव
.. बाहरी शौचालय से मुक्त नहीं है गजनी गांव, पेयजल के लिए लोगों को पड़ रहा भटकना
.डीसी ने कहा- मामले की जानकारी नहीं, जांच के बाद करेंगे कार्रवाई
फोटो संख्या- 1 और 2
संवाद सूत्र, कैरो (लोहरदगा) : प्रखंड का गजनी गांव विकास अब भी विकास से कोसों दूर हैं। तत्कालीन उपायुक्त सुधांशु भूषण बरवार ने विगत 23 नवंबर 2012 को गजनी गांव को आदर्श ग्राम बनाने का सपना गांव वालों को दिखाया था। जो आज 16 माह गुजर जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है। जिला प्रशासन द्वारा गांव के जनता दरबार में तत्कालीन उपायुक्त सुधांशु भूषण बरवार ने महीने भर के भीतर गांव को समस्या मुक्त एवं स्वच्छ बनाने की बात कही थी, जिस पर कोई अमल नहीं हुआ। गजनी गांव में एक करोड़ की लागत से चेकडैम का निर्माण कराया गया था, परंतु चेकडैम खुद ही पानी के लिए तरस रहा है। गांव में लगे चापाकल में पांच चापाकल खराब हैं। सिंचाई संसाधानों के अभाव में गांव में कृषि का विकास नहीं हुआ है। जनता दरबार में उपायुक्त ने जो सपना दिखाया था, उसमें चेकडैम, बागवानी, लिफ्ट एरिगेशन, वृद्धावस्था पेंशन, इंदिरा आवास, बाहरी शौच मुक्त गांव की तस्वीर थी। यह तस्वीर सपनों में भी धुंधली नजर आती है। उपायुक्त परमजीत कौर का कहना है कि दैनिक जागरण से ही उन्हें गजनी गांव को आदर्श ग्राम बनने की जानकारी मिल रही है। वे इसकी पूरी तरह से जांच कराने के बाद आदर्श गांव बनाने की प्रक्रिया शुरू कराने की दिशा में कार्य करेंगी।
अब किसके वायदे पर करें भरोसा
फोटो संख्या- 3 से 6
कैरो (लोहरदगा) : गजनी के स्थानीय ग्रामीण आदर्श गांव का सपना टूटने से काफी दुखी हैं। ग्रामीण बड़े ही बोझिल मन से कहते हैं कि अब किसके वायदे पर भरोसा करें। जब जिला के मुखिया का वायदा उनके स्थानांतरण के बाद पूरा नहीं हुआ तो आखिर किस पर भरोसा करें। गोविंद महतो व किशुन लोहरा का कहना है कि गांव की बुनियादी समस्याएं समाप्त होने से क्षेत्र का विकास होता जो अधूरा रह गया है। धुर्वा महतो व प्रवीण लोहरा का कहना है कि गांव में कोई एक ऐसी योजना नहीं है जिस पर हम इतरा सकें। फिर आदर्श गांव कहे जाने का मतलब ही नहीं बनता।