मरकच्चो व सतगावां में विवादों में फंसा है पोषण सखी के चयन
कोडरमा: आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर पोषण परामर्शी सह अतिरिक्त सेविका चयन का दर्जनों मामला सतगावां व म
कोडरमा: आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर पोषण परामर्शी सह अतिरिक्त सेविका चयन का दर्जनों मामला सतगावां व मरकच्चों में विवादों में फंस गया है। ग्राम सभा से चयन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी पोषण परामर्शी के चयन का अनुमोदन नहीं हो पा रहा है। यहां तक कि प्रखंडों में भी कई मामले दबे हुए है। इससे भी विवाद बढ़ रहा है। खास तौर पर सतगावां मे 106 पोषण सखी का चयन किया जाना है। यहां ग्राम सभा की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई। लेकिन मात्र 68 मामलों में ही चयन कर अनुमोदन के लिए जिला को भेजा गया है। अन्य मामले प्रखंड में ही लटका है। ऐसे में प्रखंड स्तर से प्रक्रिया में भी सवाल उठ रहा है। जबकि सरकार के स्तर से चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं। यहां तक की चयन के लिए ग्राम सभा की प्रक्रिया पूरी कर ससमय अनुशंसा जिला को भेजा जाना है। लेकिन इस आदेश का पूरी तरह अनुपालन नही हो पा रहा है। लिहाजा सतगंवां क्षेत्र से ग्राम सभा के बाद दर्जनों स्थानों पर चयन के उपरांत आपत्ति व शिकायत मुख्यमंत्री के जनकोषांग व जिला स्तर पर जनशिकायत कोषांग को दिया गया है। इन मामलों पर विचारोंपरांत ही अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसी तरह का मामला मरकच्चो प्रखंड में भी है। जहां 106 पोषण परामर्शी का चयन किया जाना है, लेकिन विवादों व शिकायतों के कारण मामला अधर में लटका है।
कोडरमा, जयनगर व डोमचांच में प्रक्रिया शुरू
कोडरमा: पोषण परामर्शी के सभी प्रखंडों में चयन आंगनबाड़ी स्तर पर किया जाना है। इधर, कोडरमा, जयनगर व डोमचांच प्रखंड में भी चयन के लिए ग्राम सभा की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कोउरमा में 211, जयनगर में 190 व डोमचांच प्रखंड में 138 पोषण परामर्शी का चयन किया जाना है। इसके लिए 24 मई तक आंगनबाड़ी स्तर पर ग्राम सभा करवाया जाना है। सरकार स्तर से ही बीडीओ, सीओ व सीडीपीओ को पूरी पारदर्शिता के साथ ग्राम सभा कराने का निर्देश दिया गया है।
पोषण परामर्शी रखेगी नवजात का ख्याल
कोडरमा: ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं, माताओं व नवजात का ख्याल रखेगी पोषण परामर्शी। इन्हें कई दायित्व दिये गये है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को चिह्नित करना, संस्थागत प्रसव सुनिश्चित कराना, नवजात का जन्म पंजीकरण, वजन, करना, कम वजन वाले बच्चों को कुपोषण के घेरे में लेना, बच्चों को नियमित टीकाकरण कराना, आंगनबाड़ी केंद्रों में शिक्षा का जांच करना, शिशुओं का स्तनपान कराना, छह माह बाद आहर को नियमित कराना, 5 वर्ष के आयु तक बच्चों के स्वास्थ्य के अलावा माताओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखना, पोषक क्षेत्र में इस्तेमाल की जाने वाली नमक की जांच करना, पोषण पर परामर्श देना आदि कार्य शामिल हैं।