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अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट के लिए फिर होगी प्रक्रिया शुरू

कोडरमा: लंबे समय से अधर में लटकी 4000 मेगावाट की अल्ट्रामेगा पावर प्लांट निर्माण का रास्ता अब साफ

By Edited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 02:22 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 02:22 AM (IST)
अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट के लिए फिर होगी प्रक्रिया शुरू

कोडरमा: लंबे समय से अधर में लटकी 4000 मेगावाट की अल्ट्रामेगा पावर प्लांट निर्माण का रास्ता अब साफ हो रहा है। रिलायंस पावर द्वारा इस प्रोजेक्ट से पीछे हटने के बाद संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। लेकिन राज्य सरकार के पहल के बाद इस प्लांट के लिए स्थल यथावत रखा गया है। वहीं जिला प्रशासन को दो माह के अंदर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है। इसके लिए सोमवार को उर्जा विभाग के प्रधान सचिव ने कोडरमा व हजारीबाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जरूरी निर्देश दिया। इस संबंध में अपर समाहर्ता मुकुंद दास ने बताया कि उक्त प्लांट का निर्माण यथावत भूमि में ही किया जाना है। प्लांट के लिए 977.93 एकड़ भूमि कोडरमा जिला के जयनगर अंचल क्षेत्र से ली जा रही है। जबकि शेष करीब 13 हजार एकड़ भूमि हजारीबाग जिला से ली जानी है। इसमें केरेडारी व बड़कागांव में कोल ब्लॉक, रेल लाइन व प्लांट की भूमि शामिल है। प्लांट तक कोयले की ढुलाई के लिए 97 एकड़ भूमि पर रेल लाइन बिछाई जाएगी। जबकि बरही में करीब दो हजार एकड़ भूमि में प्लांट निर्माण होगा। कोडरमा जिला में ऐशपौंड का निर्माण करने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि दो माह के अंदर कोडरमा में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। जयनगर क्षेत्र में 285.75 एकड़ रैयती भूमि अर्जित की जा चुकी है। लेकिन रैयतों ने 78 एकड़ भूमि का ही राशि लिया है। वहीं 691.68 एकड़ भूमि को खतियान में गैरमजरूआ के रूप में चिन्हित किया गया है। इसमें कई लोगों द्वारा जमाबंदी कायम होने का दावा किया जा रहा है। दो माह के अंदर ही इस भूमि की जांच कर ली जाएगी। यदि जमाबंदी वैद्य पाया गया तो रैयती मान्यता की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिन रैयतों द्वारा रैयती भूमि की राशि नही ली गई है, उन्हें नये एक्ट व नये दर पर राशि का भुगतान किया जाएगा । बहरहाल, एक बार फिर इस प्लांट के निर्माण की संभावना प्रबल है। अब जिला स्तर पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी में काफी कुछ नया दिखेगा। पूर्व में कई गांव के लोगों ने भूमि अधिग्रग्रहण की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए भुगतान लेने से मना कर दिया था। जिला प्रशासन को इसमें काफी फजीहत भी उठानी पड़ी थी।


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