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मानसिक अवसाद से सबसे ज्यादा युवा वर्ग ग्रसित

चतरा : वर्तमान समय में मानसिक रूप से बीमार लोगों की संख्या बढ़ रही है। लोगों की पहले जैसी सरल ¨जद

By Edited By: Published: Sat, 10 Oct 2015 09:28 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 09:28 PM (IST)

चतरा : वर्तमान समय में मानसिक रूप से बीमार लोगों की संख्या बढ़ रही है। लोगों की पहले जैसी सरल ¨जदगी नहीं रह गई है। अपेक्षाएं आए दिन बढ़ रही है। ऐसे में बच्चों के भविष्य की ¨चता जहां अभिभावकों को सता रही है, वहीं बच्चों को बेहतर परिणाम देने की भी ¨चता होने लगी है। नतीजा आज के समय में मानसिक अवसाद से सबसे अधिक युवा वर्ग ग्रसित हो रहा है। उक्त बातें व्यवहार न्यायालय के सभाकक्ष में राष्ट्रीय लोक अदालत सह विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयप्रकाश नारायण पांडेय ने कही। उन्होंने कहा कि सामान्यत: मानसिक ¨चताओं से हर लोग गुजर रहे हें। सामान्य मानसिक स्थित से कम या अधिक ¨चतन करना एक तरह से मानसिक बीमारी है और इस अवसाद से युवा वर्ग ज्यादा ग्रसित हैं। उन्होंने कहा कि अगर 2020 तक इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तथा लोगों को जागरूक नहीं किया गया तो यह मानसिक रोग विश्व के लिए महामारी का रूप ले सकता है। प्रारंभिक दौर में इस रोग को काउंसि¨लग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। पीडीजे ने कहा कि मानसिक रोगियों को हर संभव मदद कर मानवीय संवेदना का परिचय देने की जरूरत है। उन्होंने लोक अदालत के बारे में कहा कि फैसला तो पक्षकारों एवं शिकायतकर्ताओं के बीच सुलह-समझौता के आधार पर होती है। उसे लोक अदालत जैसे प्लेट फार्म को अमलीजामा पहनाने में न्यायिक पदाधिकारी अहम भूमिका निभाते हैं। फरियादी मामला निष्पादन कराकर तनावमुक्त जीवन व्यतीत करते हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न लोक अदालतों के समय-समय पर आयोजन कर मामले को निष्पादित किया जाता रहा है। जिसमें फरियादियों को विधिक सेवा प्राधिकार हर संभव मदद करने के लिए कटिबद्ध रहता है। इससे पूर्व कार्यक्रम का प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश समेत अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर उदघाटन किया। मंच का संचालन प्राधिकार के जिला सचिव मो. तौफीक अहमद ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन एडीजे थ्री बाल कृष्ण तिवारी ने किया। कार्यक्रम को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश जायसवाल, एडीजे टू श्रीप्रकाश दूबे समेत अन्य ने संबोधित किया। इस मौके पर न्यायिक पदाधिकारी, अधिवक्ता समेत काफी संख्या में फारियादी एवं पीएलवी मौजूद थे।

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सुलह ही झगड़ों का समाधान

आपसी झगड़ों का सुलह ही समाधान है। किसी भी मामले को अपास में बैठ कर सुलह समझौता के आधार पर निबटारा करने की जरूरत है। उक्त बातें मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अरिवंद कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि कितना अच्छा होता कि आपस में झगड़ा न होता। वैसे लोक अदालत विवादों को निबटाने का एक मंच है। जिसमें लोगों को फैसले को न्यायलय द्वारा कानूनी अमलीजामा पहनाया जाता है।

मनो रोगियों को मानवीय संवेदना से करें सहयोग

मनोरोगी वैसे तो मानसिक रूप से जरूरत अक्षम होते हैं। लेकिन अन्य क्षेत्रों में काफी सक्षम होते हैं। ऐसे में मानवीय संवेदना के तहत मनोरोगियों को हर संभव सहयोग करने की आवश्यकता है। ताकि वे भी सामान्य जीवन जी सकें। उक्त बातें एसडीजेएम संतोष कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि मनोरोगियों को भी समान अधिकार प्रदान करने की कानून में व्यवस्था की गई है। ऐसे में हर नागरिक का दायित्व बनता है कि मनोरोगी को सम्मान दें तथा हर संभव सहयोग दिया जाए।

राष्ट्रीय लोक अदालत में 814 मामलों का हुआ निष्पादन

व्यवहार न्यायालय में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 814 मामलों का निष्पादन किया गया। जिससे 32 लाख 48 हजार तीन सौ रुपए की वसूली की गई। निष्पादित होने वाले मामलों में प्रीलीटिगेशन के 215, मामलों से 15,70,529 रुपये , लंबित तीन मामलों से 1,31,895 रुपये , नगरपालिका के 229 मामलों से 188,255 रुपये , छोटे अपराधिक प्रीलिटिगेशन के 323 मामलों से 13,43,121 रुपये , आपराधिक लंबित के 44 मामलों से 14,580 रुपये की वसूली की गई। मामले के निष्पादन के लिए न्यायिक पदाधिकारियों एवं अधिवक्ताओं की पांच बेंच गठित किया की गई थी। इन पांच अलग-अलग बेंचों में अलग-अलग विभागों के मामलों का निष्पादन किया गया। मामलों के निष्पादन के लिए फरियादियों की काफी भीड़ न्यायालय परिसर में जुटी।


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