शिक्षक अच्छे नागरिकों का निर्माता
झुमरीतिलैया : झुमरी तिलैया में स्थित ग्रिजली बीएड कॉलेज के प्रांगण में दो दिवसीय 'डॉक्टरीन ऑफ मॉड
झुमरीतिलैया : झुमरी तिलैया में स्थित ग्रिजली बीएड कॉलेज के प्रांगण में दो दिवसीय 'डॉक्टरीन ऑफ मॉडर्न मेथड'विषय पर कार्यशाला का समापन सोमवार को हो गया। समापन समारोह में संयोगिता मिश्रा, खुशबू कुमारी सिन्हा, वंदना कुमारी एवं विभा कुमारी ने मुख्य अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) एमएल दास के स्वागत में मर्मस्पर्शी व भाव विह्वल करने वाला स्वागत गीत प्रस्तुत किया । कॉलेज प्राचार्या डॉ. संजीता कुमारी ने उन्हें पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित कर उनका स्वागत किया। वहीं अरुण मिश्रा ने पूर्व कुलपति को शाल ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। रिसोर्स पर्सन व मुख्य वक्ता इलाहाबाद डायट के शिक्षक प्रशिक्षक उदय प्रताप राव को मनीष कपसिमे ने पुष्पगुच्छ व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किए।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) एमएल दास ने कहा कि यदि कोई व्यवसाय अत्यंत महत्वपूर्ण है तो मेरे विश्वास में वह स्कूल अध्यापक का है। एक सच्चा शिक्षक धन के अभाव में धनी होता है, उसकी संपत्ति की तुलना विचार बैंक में जमा धन से नहीं जानी चाहिए, अपितु उस प्रेम और भक्ति से, जो उसने अपने छात्रों में उत्पन्न की है। अध्यापक उन भावी नागरिकों का निर्माण करता है, जिनके ऊपर राष्ट्र के उत्थान तथा पतन का भार है। कॉलेज प्रबंधक अरूण मिश्रा ने शिक्षकों से कहा कि कुछ करने का जज्बा शिक्षक रखें। शिक्षक को छात्रों के दार्शनिक, निर्देशक तथा मित्र के रूप में कर्तव्य निभाना चाहिए। वह राष्ट्र निर्माता होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक का प्रभाव केवल किसी प्रदेश या प्रांत तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र से भी बाहर विदेशों में फैला रहता है। मानव समाज एवं देश की उन्नति उत्तम शिक्षकों पर निर्भर है। कॉलेज प्रबंधक अविनाश सेठ ने अपने संबोधन में छात्रों से सच्ची लगन और ईमानदारी से पढ़ाई करने का आह्वान किया। देश का युवा वर्ग शारीरिक रूप से स्वस्थ्य एवं बलशाली है, मानसिक व बौद्धिक रूप से सृजनशील है तो राष्ट्र का उत्थान सुनिश्चित है। किसी कार्य में निखार व सफलता लाने के लिए कार्य की समझ, उसमें श्रद्धा व ईमानदारी होनी चाहिए। उन्होंने बतायें कि छात्रों के लिए विद्यालय शिक्षा का मंदिर तथा शिक्षक पुजारी व भाग्य निर्माता हैं। अध्यापक छात्रों को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है और सभ्यता के दीपक हमेशा प्रज्जवलित रखता है। अध्यापक छात्रों को पशुत्व से मनुष्य की ओर ले जाता है। उन्होंने कि अध्यापक उस मोमबत्ती के समान है, जो स्वयं को जला कर दूसरे का प्रकाशित करता है।
कॉलेज प्रबंधक श्री मनीष कपसिमे ने बतायें कि यह अध्यापक ही है जो किसी के जीवन को जीने योग्य बनाता है। संपूर्ण विश्व उन सभी शिक्षकों का ऋणी रहेगा जिन्होंने संसार के भौतिक तथा आध्यात्मिक स्वरूप का निर्माण किया है और उसे सजाया तथा संवारा है। प्रो. स्नेहा भारती ने दो दिवसीय कार्यशाला पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक बीएड प्रशिक्षु के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह प्रभावी शिक्षण कौशल का अर्थ समझे, उनकी धारणाओं से परिचित हों और उन पर पूर्ण अधिकार प्राप्त करने में समर्थ हों, तभी वह एक निपूण शिक्षक बन सकता है। बीएड प्रशिक्षु संध्या कुमारी व नीरज कुमार पांडेय ने अपने दो दिवसीय कार्यशाला का जीवंत अनुभव व्यक्त किए। माननीय मुख्य अतिथि व पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) एमएल दास ने उपस्थित प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर पुरस्?कृत किया। यह वर्कशॉप सीसीए प्रभारी प्रो. सीएन झा के नेतृत्व में हुई। राष्ट्रगान के साथ दो दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. (डॉ.) भूपेन्द्र ठाकुर ने किया।