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मनरेगा के क्रियान्वयन में मीडिया की भूमिका अहम

By Edited By: Published: Sat, 24 Aug 2013 10:30 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2013 10:31 PM (IST)

कोडरमा: मनरेगा के सफल क्रियान्वयन में मीडिया की अहम भूमिका हो सकती है। इसलिए मीडिया को रचनात्मक सरोकारों के साथ इसमें भागीदारी निभाने के लिए आगे आने की जरूरत है। साथ ही इसमें आ रही खामियों को उजागर कर इसके मॉनिटरिंग से जुड़ी एजेंसियों एवं जिला प्रशासन की ओर इसका ध्यानाकृष्ट करने की जरूरत है। उक्त बातें शनिवार को कोडरमा डीआरडीए सभागार में मनरेगा पर आधारित मीडिया की एक दिवसीय कार्यशाला में निष्कर्ष के रूप में सामने आयी। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए डीसी उमाशंकर सिंह ने कहा कि सरकार का उद्देश्य इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को पारदर्शी तरीके से लागू करना है। इसलिए देश स्तर पर इस तरह के कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मीडिया को इस कार्यक्रम के प्रावधानों की पूरी जानकारी हो, साथ ही क्षेत्र में इसे लागू करने में हो रही खामियों की फीडबैक वे प्रशासन को दें, ताकि उसे दूर किया जा सके।

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कार्यशाला में विषय प्रवेश कराते हुए मनरेगा के राज्य साधनसेवी असीम सरकार ने कहा कि मनरेगा मांग आधारित काम है, जो ग्रामीण मजदूरों को उसके पंचायत में ही सौ दिनों के रोजगार की गारंटी सुनिश्चित करता है। यदि आवेदन प्राप्ति के 15 दिनों के अंदर उसे काम उपलब्ध नहीं कराया गया तो संबंधित मजदूर को नियमानुसार बेरोजगारी भत्ता देय है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में मजदूरों को कार्य के बदले मजदूरी सही समय पर पारदर्शी तरीके से मिले, इसपर सरकार का सबसे ज्यादा फोकस है। भुगतान प्रक्रिया में सुधार के लिए सरकार के द्वारा मनरेगा के जॉबकार्डधारियों का अकाउंट बैंक में खुलवाने और पोस्टऑफिस के माध्यम से ही मजदूर के खाते में ऑनलाइन राशि ट्रांसफर की व्यवस्था की जा रही है। बीपीओ जयनगर ने भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाने की संबंध में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीडीसी आभा कांसी, डीआरडीए के लेखा निदेशक विजय कुमार सिंकू बीपीओ रामशरण कुमार आदि ने भी मनरेगा से जुड़ी कई बातों को रखा।

केवल राशि नहीं देखें जॉबकार्ड धारी

कोडरमा: कार्यशाला को संबोधित करते हुए राज्य साधनसेवी असीम सरकार ने कहा मनरेगा के कार्य में मजदूर केवल मजदूरी की राशि को नहीं देखें। यह सही है कि शहर में मजदूरों को मजदूरी कुछ ज्यादा दर से मिलती है। लेकिन मनरेगा में सबसे बड़ी बात है कि मजदूर को उसके पंचायत में ही रोजगार मिलता है।

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