तपती धरती में खेतों में छाई है हरियाली
खूंटी : शरीर को झुलसाने वाली गर्मी में लोग जहां शहर में पंखा और कूलर से दूर होना नहीं चाहते और गांव
खूंटी : शरीर को झुलसाने वाली गर्मी में लोग जहां शहर में पंखा और कूलर से दूर होना नहीं चाहते और गांव में लोग पेड़ों की छाया और सूखते कंठ को ¨भगोने का प्रयास करते दिख रहे हैं। वहीं, माहिल जामटोली के किसान लू के थपेड़ों को मात देने में कामयाब नजर आ रहे हैं। कामयाबी की पट्टकथा लिखने वाले किसानों के मन में गरीबी को मात देने और कड़ी मेहनत का संकल्प है। किसानों के इस संकल्प को सारे लोग सम्मान कर रहे हैं, सलाम कर रहे हैं। माहिल जामटोली स्व. टी मोचीराय मुंडा का गांव है, जिन्हें लोग सम्मान के साथ छोटानागपुर के गांधी के नाम से जानते और पुकारते हैं। राजनीति की रत्नगर्भा धरती पर खेतों में किसान सोना उगा रहे हैं और सुशिक्षित समाज की दिशा में लगातार कोशिश कर रहे हैं। इस गांव ने दो मंत्री और एक विधायक दिया है। राजनीति की उर्वर धरती पर किसान अपनी मेहनत से हरियाली से खुशहाली का बीज मंत्र भी देने का काम कर रहे हैं।
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मेहनत से जी नहीं चुराते किसान
गांव के सुखदेव मुंडा और सुरजू मुंडा का कहना है कि जीना है, तो काम करना होगा। बच्चों को पढ़ाना है, तो पैसा कमाना होगा। गर्मी हो या जाड़ा, खेतों में समय देना ही पड़ता है। माहिल जामटोली गांव के किसान अपने-अपने खेतों में बीस फीट व्यास वाले कुआं खोदवा चुके हैं। सुखदेव मुंडा जो टी. मोची राय मुंडा के पुत्र, ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ ¨सह मुंडा और पूर्व विधायक कालीचरण मुंडा के छोटे भाई हैं, कहते हैं कि धरती ही आजीविका का साधन है। उन्होंने लगभग साढ़े चार एकड़ जमीन में सब्जी की फसल लगा रखी है। बगल से बहने वाली नदी और कुआं के पानी से फसलों की सुबह शाम पटवन कर रहे हैं। लौकी, करैली, टमाटर, ¨भडी, बोदी आदि सब्जी की फसल उगा रहे हैं और उत्पादों को खूंटी और आसपास के हाटों में बेच रहे हैं। माहिल और जामटोली वेजीटेबल हब है, जो जिला मुख्यालय को सब्जी आपूर्ति कर रहा है। गांव के एक अन्य किसान 60 वर्षीय सुरजू मुंडा कहते हैं कि धरती हम आदिवासियों की पालन करने वाली मां है। खेती आजीविका का साधन है। इस कारण से वह सब्जी की खेती करते हैं। गर्मी से उनकी मेहनत पर असर नहीं पड़ता। मेहनत से जी चुराएंगे, तो क्या खाएंगे और परिवार के सदस्यों क्या खिलाएंगे। बच्चों को पढ़ाएंगे कहां से? इस भीषण गर्मी की परवाह किए बगैर फसलों का पटवन करना पड़ता है। उन्होंने भी अपने खेत में बोदी, टमाटर, लौकी, करैला, झींगा, नेनुआ की फसल लगा रखी है। कुआं के पानी से फसलों की ¨सचाई करते हैं। उत्पादित सब्जियों को खूंटी बाजार में बेचते हैं। सब्जी की मांग बढ़ी हुई है। इस कारण उत्पाद का दाम भी ठीक-ठाक मिल जाता है। सुरजू कहते हैं कि कुआं पुराना पड़ गया है। इस कुआं की मरम्मत जरूरी है। सरकार यदि मदद कर दे, तो समस्या बहुत हद तक हल हो जाएगी। इस गांव के किसान खीरा का भी व्यापक पैमाने पर खेती किए हुए हैं। कुछ लोगों ने तरबूज की फसल लगा रखी है। मेहनती किसानों के सामने भीषण गर्मी भी पस्त नजर आ रही है। यही कारण है कि माहिल जामटोली गांव में जहां भी नजर दौड़ाएंगे, खेतों में हरियाली ही हरियाली नजर आती है।