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वन विभाग के प्रयास से पक्षियों को मिल रहा आशियाना

जामताड़ा : धूप व बरसात में हर जीव-जंतु को एक आशियाना की तलाश होती है, ताकि सुरक्षित जिंदगी जी पाए। वन

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 01:25 AM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 01:25 AM (IST)
वन विभाग के प्रयास से पक्षियों को मिल रहा आशियाना
वन विभाग के प्रयास से पक्षियों को मिल रहा आशियाना

जामताड़ा : धूप व बरसात में हर जीव-जंतु को एक आशियाना की तलाश होती है, ताकि सुरक्षित जिंदगी जी पाए। वन विभाग ने विभिन्न प्रजातियों की पक्षियों के संरक्षण के लिए कृत्रिम घोषला बनवा रहा है। ताकि विभिन्न प्रजाति की पक्षी सुरक्षित व भयमुक्त होकर प्रजनन विस्तार कर पाएं।

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विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर गुरुवार को विभाग की ओर से पक्षियों के संरक्षण के लिए घोषला लगाने की कवायद शुरू हुई। अनुमंडल पदाधिकारी के आवासीय कार्यालय के पेड़ों पर कृत्रिम घोषला लगाकर अभियान की शुरूआत हुई। जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी आरके साह व एसडीओ नवीन कुमार पेड़ों पर कृत्रिम घोषला लगाकर अभियान की शुरूआत की। डीएफओ ने कहा कि जिले भर में यह अभियान एक पखवारा तक चलेगा।

जामताड़ा नगर पंचायत क्षेत्र के चिल्ड्रेन पार्क,पर्वत विहार,समाहरणालय परिसर,परिसदन परिसर,थाना परिसर,प्रखंड परिसर समेत हाइवे किनारे स्थित पेड़ों पर कृत्रिम घोषला लगाया जाएगा। कहा वन विभाग के द्वारा अधिकृत कर्मचारी के देख रेख में मजदूरों के माध्यम से कृत्रिम घोषला लगाने का कार्य जारी है। कहा वन विभाग विश्व वानिकी पखवारा मना रही है। पखवारा अवधि में विभिन्न प्रखंडस्तरीय कार्यालय परिसर व किसानों के निजी बगान स्थित पेड़ पर कृत्रिम घोषला लगाने का कार्य किया जाएगा। पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी पशु-पक्षियों की अहम भूमिका है। इसलिए पक्षियों की सुरक्षा आवश्यक है। विभिन्न क्षमता वाले बिजली तार,मोबाइल टावर से निकलने वाला माइक्रो वेब से पक्षियों का प्रजनन कार्य बाधित होता है। साथ सुरक्षित आशियाना के अभाव में कई पक्षियों की मृत्यु भी हो जा रही है। मौके पर अनुमंडल पदाधिकारी नवीन कुमार एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी आरके साह समेत वन विभाग के अन्य पदाधिकारी ने संयुक्त रूप से पेड़ों पर कृत्रिम घोषला लगाकर अभियान की शुरूआत की। एसडीओ ने अपने संबोधन में कहा कि खास कर बरसात के मौसम में पक्षियों को रहने में कई प्रकार की परेशानी होती है। ठंड व बरसात के कारण कई पक्षियों की जान भी चली जाती है। ऐसे में विभिन्न पेड़ों पर कृत्रिम घोषला लग जाने से पक्षियों को स्थाई आशियाना मिल जाएगा।


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