गांवों में धान बना लेन-देन का आधार
नारायणपुर : नारायणपुर के गांवों में नोटबंदी के बाद अब धान लेन-देन का आधार बन गया है। अभी गांव-गांव म
नारायणपुर : नारायणपुर के गांवों में नोटबंदी के बाद अब धान लेन-देन का आधार बन गया है। अभी गांव-गांव में धान की कटनी चल रही है। किसान के घरों में फसल के रूप में तो मजदूरों के घरों मजदूरी के रूप में धान घुस रहा है। इसी धान को बेचकर दुकानों से लोग अपनी जरुरत के सामान ले रहे हैं और अपनी आवश्यकताओं को पूरी कर रहे हैं। कुछ घरों की क्रय क्षमता उधार पर भी टिकी है वह भी इस भरोसे कि कैश जब आएगा तब उधार चुकता कर दिया जाएगा। ऐसे में नोट बंदी का बहुत ज्यादा गांवों में नहीं दिख रहा है। हां, यह अलग बात है कि जिनके घरों में शादी आदि समारोह को ले बड़े खर्च होने वाले हैं, वे चितिंत जरूर हैं। दैनिक जागरण ने गांव के लोगों से जानने का प्रयास किया कि कैश की कमी के बाद भी लोग अपनी दिनचर्या कैसे चला रहे हैं।
इस पर उन्होंने निम्न राय व्यक्त की।
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नोटबंदी से परेशानी अवश्य है, परंतु इसमें देश का हित निहित है। लोगों का घर थोड़े-बहुत पैसे से नहीं तो उधार से चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान धान बेचकर नगदी प्राप्त कर रहे हैं और अपनी जरुरत का सामान खरीद रहे हैं। कुछ उधार यह कहकर ले रहे हैं कि कैश आएगा तो वापस कम देंगे। --रियाज अहमद, किसान, फोटो नं. 12
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नोट की कमी के चलते मजदूरों को भुगतान करने में परेशानी हो रही है। मजदूरी के रूप में धान दे दे रहे हैं। रुपए रहते तो वहीं मजदूरी दे देते। इससे धान घर में ही रह जाता। कैश की कमी के कारण छोटे व्यवसाय पर असर पड़ा है। दिनों में स्थिति सामान्य होने पर सबकुछ ठीकठाक हो जाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
- अनिल पोद्दार, फोटो नं. 14
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नोटबंदी से कैश का संकट हुआ है परंतु ऐसे कदम से देश मजबूत होगा। उधारी से तथा बैंकों से मिल रहे पैसे से काम चला रहे हैं। शहरों की
भांति ग्रामीण क्षेत्रों के बैंको में भी कैश दिया जाता तो लेन-देन की परेशानी जल्दी दूर हो जाती। अभी घर में धान है, उसकी से काम चल रहा है।
- सुभाष मंडल, किसान, फोटो नं. 15
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कैश की कमी से परेशानी है। राशन हो या जानवरों का चारा, सभी काम दुकानदार से उधार लेकर ही निकाला जा रहा है। दुकानदार को यही भरोसा दे रहे हैं कि जब हाथ में नकदी आएगी तो उधार चुकता कर दिया जाएगा।
-आजाद अंसारी, किसान,
फोटो नं. 11
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गावों में कैश की कमी है। धान की फसल होने से किसानों को राहत मिली है, अन्यथा नोट की कमी से राशन, दवा खरीदने में भी परेशानी होती। धान बेचकर किसानों को नकदी मिल जा रही है। दुकानदारी भी प्रभावित हो रही है।
-- राजगौरव ¨सह, व्यवसायी,
फोटो नं. 10
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गांव-गांव में अभी धान काटने एवं पीटने का काम चल रहा है। मजदूरों को मजदूरी में पैसा नहीं देकर धान दे रहे हैं। मजदूर धान को बाजार में बेचकर मिल रही नकदी से अपना काम चला रहे हैं। पैसे का अभाव इसी तरह ओ रहा तो परेशानी झेलना मुश्किल हो जाएगा। - कमल महतो, किसान, फोटो नं. 16