जंगली घासों से बचाएं धान की फसल : गोपाल
संवाद सहयोगी, जामताड़ा : इस बार जिलें में धान का आच्छादन बेहतर होने से किसान काफी खुश हैं। अभी लगातार
संवाद सहयोगी, जामताड़ा : इस बार जिलें में धान का आच्छादन बेहतर होने से किसान काफी खुश हैं। अभी लगातार बारिश भी साथ दे रही है जिससे उत्साह में वृद्धि हो रही है। निर्धारित लक्ष्य पचास हजार हेक्टेयर के विरूद्ध किसानों ने शत प्रतिशत आच्छादन कर लिया है। बेहतर उत्पादन के बाद अभी जरूरत है फसल के अच्छे ढंग से देखभाल की। इसके लिए किसानों को जागरूक रहने की आवश्यकता है। पौधों पर लगातार नजर रखने की जरूरत है ताकि किसी प्रकार का रोग लगने से पूर्व उसकी पहचान कर उपचार किया जा सके।
लगातार करें पानी की निकासी : बारिश का सिलसिला जारी रहे तो किसानों को खेत से पानी की निकासी करते रहना चाहिए। बारिश होने के दौरान मेड़ काटकर पानी निकालते रहें और बारिश बंद हो जाए तो उसे फिर से बांध दें। इससे कई प्रकार के बीमारी से बचाव होता है और उपज भी अच्छी होती है।
संभावित बीमारी : कृषि विज्ञान केंद्र के पौधा संरक्षण विशेषज्ञ गोपाल कृष्ण बताते हैं कि इस समय मुख्य रूप से धान में तना छेदक, केसवर्म और ब्लॉस्ट नामक बीमारी के लगने का खतरा बना रहता है। इसके लिए किसान फसल पर नजर रखें और पहले लक्षण के साथ ही इसका उपचार भी करें। उन्होंने बताया कि अच्छे पैदावार के लिए खरपतवार की निकासी भी जरूरी है। श्रीविधि से धान लगानेवाले किसान इसके लिए कोनोवीडर का इस्तेमाल कर सकते हैं अन्यथा हाथ से ही खरपतवार साफ करना पड़ेगा।
बेहतर उपचार : कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि तनाछेदक और केसवर्म नामक बीमारी लगने से एक लीटर पानी में दो मिलीलीटर टरमीनेटर मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। प्रति डिसमील दो लीटर पानी का प्रयोग बेहतर होगा। पंद्रह दिन के बाद फिर से यह छिड़काव कर देने से इन बीमारियों से बचाव होगा। ब्लॉस्ट लगने पर धान के पत्तों पर आंख जैसी आकृति बनने लगती है। इससे बचाव के लिए ब्लूकॉपर नामक दवा का प्रयोग करें। इसे एक लीटर पानी में तीन ग्राम की मात्रा मिलाकर छिड़काव किया जाता है। इस दवा को एक सप्ताह के अंतराल पर फिर से डालना चाहिए।