मुड़ाबेरिया में डायरिया से तीन की मौत
संस, कुंडहित : प्रखंड क्षेत्र में एक बार पुन: डायरिया ने पाव पसारा। डायरिया से प्रखंड के मुड़ाबेडिया गांव की संधा रानी गोप (55), छाया बाउरी (23) एवं नारु वागती (30) की मृत्यु हो गई। लेकिन स्वास्थ्य विभाग बेखबर है। गत 27 जुलाई को छाया बाउरी एवं नारु बागती की मृत्यु सिउड़ी अस्पताल में हुई एवं 28 जुलाई को संधा रानी गोप की मृत्यु वर्द्धमान अस्पताल में इलाज के दौरान हुई। इसके अलावा गाव में आधे दर्जन लोग डायरिया से पीड़ित हैं। खबर मिलते ही स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और टीम के साथ गाव का दौरा कर पीड़ित लोगों का इलाज शुरू किया। जिले के एसीएमओ डॉ. अशोक कुमार एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अमित कुमार एवं चल चिकित्सा वाहन गाव पहुंचकर पीड़ित लोगों का इलाज शुरू किया। डायरिया पीड़ित तापस मंडल (25), कृ ष्णा गोप (22), राधिका गोप (35) व कमल कात गोप (63) का इलाज चल रहा है। इस संबंध में चिकित्सक डॉ. अमित कुमार ने बताया कि इससे पूर्व एक भी मरीज की मृत्यु डायरिया ने नही हुआ है। लेकिन नारु बागती के पिता धरम बागती ने वताया नारु को तीन दिन से दस्त हो रहा था। स्थिति को गंभीर देखते हुए सिउड़ी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वही संध्या रानी गोप के पति निशापति गोप ने बताया बीमारी होने पर नजदीकी बंगाल के स्वास्थ्य केंद्र नाकड़ाकंदा में भर्ती कराया गया। लेकिन ठीक नहीं होने पर सिउड़ी में भर्ती किया गया। जहां 27 जुलाई को इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।
इस संदर्भ में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अमित कुमार ने बताया कि नारु बागती को इंसेफेलाइटिस एवं संध्या रानी गोप गर्भवती थी और पेट में ही बच्चा मर जाने पर मृत्यु हुई है। छाया बाउरी की डायरिया से मृत्यु हुई है। अभी गाव में शिविर लगाकर सभी पीड़ितों का इलाज किया जा रहा है। सभी लोगों को गर्म खाना एवं खाने से पहले साबुन से हाथ धोकर खाना तथा पानी उबाल कर पीने का सलाह दिया गया है।
एसीएमओ डॉ. अशोक कुमार ने बताया गाव के अधिकाश लोग तालाब के गंदा पानी से नहाते हैं तथा गंदा पानी से खाना बनाते व बर्तन साफ करते हैं। ऐसे में डायरिया होने का संदेह प्रतीत हो रहा है । डॉ. अशोक कुमार ने गाव के लोगों को तालाब के गंदा पानी का उपयोग नहीं करने की सलाह दी, साथ ही एएनएम, सेविका, सहिया को गाव के कुआं, चापाकल एवं तालाब में ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव करने का निर्देश दिया, साथ ही चल चिकित्सा वाहन को लगातार गाव में शिविर लगाकर इलाज करने का निर्देश दिया गया।