'वार्ता' के मंच पर वैज्ञानिक देंगे किसानों को ज्ञान
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोल्हान और इसके आसपास के क्षेत्र के किसान अगले दो दिनों तक अ
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोल्हान और इसके आसपास के क्षेत्र के किसान अगले दो दिनों तक आधुनिक खेती के गुर सीखेंगे। बेहतर व गुणवत्तापूर्ण उपज की बारीकियां बताने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से कृषि वैज्ञानिक और प्रगतिशील किसान कदमा गणेश पूजा मैदान में जुट गए हैं। ये लोग मंगलवार व बुधवार को 'कृषि सम्मेलन-वार्ता' के मंच से आठ सत्रों में किसानों की समस्याओं को जानेंगे और उनका हल भी बताएंगे। किसानों को प्रेरित करने के लिए दर्जन भर प्रगतिशील किसान भी इन सत्रों में भाग लेंगे। इनमें 'टमाटर मैन' जदुनाथ गोराई, लखपति किसान बिमल महतो, इंटीग्रेटेड फार्मिग के क्षेत्र में उदाहरण बने रंजीत महतो, मजदूर से किसान बने विश्वनाथ टुडू, तालाब से किस्मत बनाने वाले जलाधर महतो जैसे प्रेरक किसान शामिल हैं। इन किसानों से कृषि के क्षेत्र में पूरे झारखंड में अपनी एक अलग पहचान बना ली है।
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एग्रीकल्चर इकोनॉमिक जोन बने : देवदूत
टाटा स्टील, टीएसआरडीएस के देवदूत मोहंती ने बताया कि हम लोग लगातार तीसरे साल 'वार्ता' का आयोजन कर रहे हैं। हमारी कोशिश किसानों की समस्याओं को साझा कर उन्हें दूर करने की है। वार्ता एक ऐसा मंच है जो किसानों और वैज्ञानिकों को सीधा संवाद करने का अवसर देता है। बकौल, मोहंती जिस तरह औद्योगिक विकास के लिए स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार एग्रीकल्चर इकोनॉमिक जोन बनाने की भी जरूरत है, जहां खेती के लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध हो। इस दिशा में सरकार को सोचना चाहिए।
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कृषि वार्ता का उठाएं लाभ : भास्करन
टाटा स्टील प्रायोजित 'कृषि सम्मेलन-वार्ता' का उद्घाटन सोमवार की शाम को कदमा गणेश पूजा मैदान में किया गया। मुख्य अतिथि टाटा स्टील के वीपी सुनील भास्करन ने समारोह में आए किसानों से इस कार्यक्रम का लाभ उठाने का आह्वान किया। कहा कि वैज्ञानिकों को सिर्फ सुनें नहीं बल्कि अपनी समस्या का निदान भी उनसे पूछें। तभी इसका उद्देश्य पूरा होगा। टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद व टीएसआरडीएस वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय ने भी किसानों को यहां से अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित कर उसे धरातल पर उतारने की अपील की। टाटा स्टील के चीफ (सीएसआर) विरेन रमेश भूटा ने कहा कि टाटा स्टील कृषि को देश में एक अलग दर्जा देने का प्रयास कर रही है। इसी उद्देश्य से सरायकेला में ग्रीन कॉलेज की स्थापना की गई है। यहां ग्रामीण युवक-युवतियों को लाहा, श्रीविधि आदि तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भविष्य में इसका और विस्तार करेंगे। औपचारिक उद्घाटन के बाद रंगारंग सांस्कृति कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।