बिना नुकसान धातुओं में हो सकता जंग का आकलन
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बर्मामाइंस स्थित राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) में जंग पर आ
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
बर्मामाइंस स्थित राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) में जंग पर आधारित चल रहे चारदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन बुधवार को जंग का आकलन करने के बारे में बताया गया। देश भर से आए प्रशिक्षुओं को डॉ. रघुवीर सिंह ने बताया कि जंग या कोरोसन की मोनीट¨रग से इंजीनिय¨रग उपकरणों की आयु में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने जग का आकलन करने के विभिन्न तकनीकी के बारे में बताया। प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. शर्मिष्ठा पालित सागर ने बताया कि एनएमएल ने नन-डिस्ट्रक्टिव टेक्निक (एनडीटी) विकसित की है, जिससे धातुओं को बिना नुकसान पहुंचाए जंग की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि किस तरह इस तकनीक से इंजीनिय¨रग कल-पुर्जो व उपकरणों को बचाया जा सकता है। डॉ. पालित ने जंग के प्रकार और उस बचाने के लिए कोटिंग की विधि के बारे में बताया। लोहे व स्टील के अलावा ब्रास व कॉपर में भी जंग लगते हैं, जिसे कम किया जा सकता है। इससे पूर्व डॉ. शर्मा पासवान ने अलग-अलग तापमान में धातुओं-अयस्कों पर आक्सीडेशन से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह की कोटिंग करके ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया को घटाया जा सकता है। आक्सीडेशन जंग लगने का प्रमुख कारण होता है।