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छत्तीसगढ़ में स्टील प्लांट नहीं लगाएगी टाटा स्टील

टाटा स्टील ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ग्रीन फील्ड इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट की स्थापना संबंधी परियोजना को रद कर दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2016 06:34 AM (IST)

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ग्रीन फील्ड इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट की स्थापना संबंधी परियोजना को रद कर दिया है। कंपनी ने वर्ष 2005 में छत्तीसगढ़ सरकार के साथ करीब 19,500 करोड़ की लागत वाले स्टील प्लांट (5.5 मिलियन टन प्रति वर्ष) लगाने को समझौता किया था। चूंकि प्रस्ताव धरातल पर नहीं उतरा, इसलिए एमओयू का समय विस्तार किया गया था जो जून 2016 में खत्म हो गया है। अब कंपनी और समय विस्तार की इच्छुक नहीं है।

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टाटा स्टील के छत्तीसगढ़ प्रोजेक्ट हेड आनंद सिन्हा ने बताया कि कंपनी ने आधिकारिक तौर पर बस्तर स्टील प्लांट प्रोजेक्ट को छोडऩे का फैसला लिया है। इसके पीछे बड़ी वजह जमीन आवंटन में विलंब है। कंपनी ने बस्तर जिला अंतर्गत लोहंदीगुड़ा में क्षेत्र चिन्हित किया था जो नक्सल घटनाओं के लिए कुख्यात रहा है। प्लांट की स्थापना के लिए 10 गांवों में पडऩे वाली करीब 2000 हेक्टेयर भूमि की जरूरत थी। चूंकि यह इलाका ट्राइबल एरिया है, इसलिए कंपनी ग्रामीणों से सीधे जमीन नहीं खरीद सकती। सरकार पहले जमीन का अधिग्रहण करती, फिर कंपनी को आवंटित करती।

वहीं छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध निदेशक सुनील मिश्रा ने बताया कि टाटा स्टील ने स्टेट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एसआईपीबी) को पत्र के माध्यम से स्टील प्लांट प्रोजेक्ट को त्यागने के फैसले की सूचना दी है। टाटा स्टील के इस फैसले के पीछे जमीन के अलावा एक अन्य वजह भी है।

दरअसल, फरवरी में टाटा स्टील दांतेवाड़ा जिले में मिली लौह अयस्क खदान को खो चुकी है जो प्रस्तावित स्टील प्लांट क्षेत्र से करीब 150 किमी की दूरी पर अवस्थित थी। कंपनी को बस्तर स्टील प्लांट के लिए बेलाडिला में 2500 हेक्टेयर लौह अयस्क खदान वर्ष 2008 में आवंटित की गई थी। कंपनी को अनुमानत: 108 मिलियन टन भंडारण वाले उच्चकोटि के लौह अयस्क के लिए प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस भी प्रदान किया गया था। उक्त क्षेत्र नक्सल प्रभावित होने की वजह से कंपनी तय समय पर प्रोस्पेक्टिंग कार्य नहीं कर पाई। इस वजह सरकार ने माइंस का आवंटन रद कर दिया था।

मिश्रा के अनुसार राज्य सरकार संशोधित माइंस एंड मिनरल्स एक्ट 2015 के तहत कंपनी को पुन: खदान आवंटित नहीं कर सकती। कंपनी को अब नए सिरे से ऑक्शन के लिए जाना पड़ेगा जो कंपनी को शायद व्यावहारिक नहीं लगा। टाटा स्टील ने रायपुर व बस्तर से अपने कार्यालय हटाने व कर्मचारी बल को दूसरी लोकेशन में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है।


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