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रामचरितमानस श्रीराम का अक्षराकार विग्रह : शुक्ल

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शिवजी सिंह बिल्डिंग, डिमना रोड मानगो में आयोजित श्रीराम कथा क

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 03:05 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 03:05 AM (IST)
रामचरितमानस श्रीराम का अक्षराकार विग्रह : शुक्ल

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शिवजी सिंह बिल्डिंग, डिमना रोड मानगो में आयोजित श्रीराम कथा के पहले दिन कथा मर्मज्ञ महाराष्ट्र से आए पंडित निर्मल कुमार शुक्ल ने कहा कि शास्त्रों में भगवान की कई प्रकार की मूर्तियों का वर्णन है। जैसे रेणुकाकार विग्रह, मृत्तिकाकार विग्रह, स्वर्णाकार विग्रह, रत्‍‌नाकार, काष्ठाकार और पाषाण विग्रह। इसी प्रकार भगवान का अक्षराकार विग्रह ही रामचरितमानस है। कलियुग में वेदों के समान इस ग्रंथ की महिमा है। मानव जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान इस ग्रंथ में वर्णित है। रामायण कथा का श्रवण करने और निरंतर पाठ करने से मानव में देवत्व के गुण विकसित होते हैं। लाखों साधकों ने रामचरितमानस के माध्यम से श्रीराम का दर्शन किया है। यह श्रीराम का अक्षराकार शरीर है। इसमें बालकांड चरण, अयोध्याकांड कमर, अरण्यकांड पेट व किष्किंधाकांड श्रीराम का हृदय है। इसी प्रकार सुंदरकांड गला, लंकाकांड मुंह और उत्तरकांड श्रीराम का मस्तक है।

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पंडित निर्मल कुमार शुक्ल ने संगीतमय शैली में श्रोताओं को मुग्ध करते हुए कहा कि श्रीराम भारत की आत्मा हैं। लगभग 80 लाख वर्ष पहले रामावतार हुआ। तब से आज तक विधर्मियों व नास्तिकों ने इस देश को अधार्मिक बनाने का लाखों प्रयास किया, लेकिन सनातन धर्म की ध्वजा को कोई झुका नहीं सका। यह कथा दो जून तक हर रोज शाम पांच से आठ बजे तक चलेगी। कथा के पूर्व मुख्य यजमान शिवजी सिंह व वैष्णव परिवार के सदस्यों ने दैनिक पूजा संपन्न कराई। नरहट नवादा से आए स्वामी रंगनाथाचार्य ने दैनिक पुजा संपन्न कराई। कथा के दौरान नरेंद्र चौधरी, शांतनु कुमार, विकास कुमार सहित तमाम लोग मौजूद थे।


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