आधुनिक दर्शन कारण और अनुभव पर आधारित : डा. संजय
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : आधुनिक दर्शन कारण और अनुभव पर आधारित है। सत्य को मात्र बुद्धि
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : आधुनिक दर्शन कारण और अनुभव पर आधारित है। सत्य को मात्र बुद्धि और अनुभव से ही जाना जा सकता है। दर्शन मानता है कि सत्य एक नहीं, अलग-अलग है। जो सत्य ज्ञान बुद्धदेव को हुआ, वहीं शंकराचार्य को नहीं हुआ। दर्शन को लोग महत्व नहीं देते, उसका मूल कारण भाषा दोष है। भाषा दोष मिटाने के लिए दार्शनिकों ने सोचा कि दर्शन में भी विज्ञान का समावेश किया जाय। कोई कथन सत्य है या असत्य, इसके सत्यापन की जांच कर दिखाया जा सके।
यह बातें ग्रेजुएट कॉलेज में दर्शन शास्त्र विभाग की ओर से समकालीन दर्शन में विकास और चुनौतियां विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए सिंहभूम कॉलेज, चांडिल के दर्शन विभाग के प्रोफेसर डा. संजय ने कहीं। वह इस सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने पावर प्वाइंट के जरिये दर्शन के विकास को समझाने का प्रयास किया। सेमिनार की अध्यक्षता प्राचार्या डा. उषा शुक्ल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में वीमेंस कॉलेज के दर्शन विभाग की प्रोफेसर काकुली बसाक उपस्थित थीं। मंच का संचालन पूजा ने किया। प्राचार्या ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। डा. लक्ष्मी झा ने विषय प्रवेश कराया। डा. काकुली बसाक ने कहा कि भारतीय दर्शन के विकास में अन्य विचारों का प्रभाव पड़ा। मानव स्वार्थी है। मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है सृजनशीलता। इसी गुण के जरिये वह ईश्वर के समकक्ष पहुंच जाता है। मोक्ष को भी दार्शनिकों ने विशेष महत्व दिया हे। उनके अनुसार मोक्ष का अर्थ है स्वतंत्रता। यही स्वतंत्रता उसे पूर्णता देती है परंतु स्वतंत्रता का मतलब स्वच्छता नहीं वरन इसका आरंभ अनुशासित होना है। सेमिनार में डा. सत्यरुपा श्रीवास्तव, डा. मोना कवि, डा. अनामिका, डा. रागिनी भूषण, डा. मुकुल खंडेलवाल तथा काफी संख्या में छात्राएं उपस्थित थीं।