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गुड़ाबांदा में नौ माह बाद पोस्टर चस्पा

संवाद सूत्र, डुमरिया : नौ माह की खामोशी के बाद एक बार फिर गुड़ाबांदा की फिजा में नक्सलवाद की आहट शुरू

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Dec 2017 09:12 PM (IST)Updated: Mon, 04 Dec 2017 09:12 PM (IST)
गुड़ाबांदा में नौ माह बाद पोस्टर चस्पा
गुड़ाबांदा में नौ माह बाद पोस्टर चस्पा

संवाद सूत्र, डुमरिया : नौ माह की खामोशी के बाद एक बार फिर गुड़ाबांदा की फिजा में नक्सलवाद की आहट शुरू हो गई है। शनिवार रात को माओवादियों ने मुचरीशोल एवं आसपास के इलाकों में पोस्टर चस्पा कर पीएलजीए मे भर्ती होने के लिए युवक-युवतियों से अपील की गई है।

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मुचरीशोल पुलिया, अस्ति एवं ओडिशा के ढाकाडीह, बारुबेड़ा, लाइनडीह, शंखाभांगा आदि गांवों में हिंदी एवं उड़िया भाषा से लिखे पोस्टर में लिखा गया है कि दो से आठ दिसंबर तक पीएलजीए स्थापना सप्ताह मना रहा है। किसान मजदूरों का राज कायम करने के लिए पीएलजीए में भर्ती हों। पन्ना एवं अन्य प्राकृतिक संपदा पर अधिकार जताने के लिए पीएलजीए में भर्ती हों।

पोस्टर चस्पा होने की खबर मिलते ही गुड़ाबांदा थाना प्रभारी ज्योति लाल राजवाड़ा ने दलबल आकर सभी पोस्टरों को फाड़ दिया। अभियान एसपी प्रणव आनंद झा भी मुचरीशोल पहुंचकर मामले की जानकारी एवं इसकी सत्यता पर पूछताछ की। गुड़ाबांदा पुलिस इसे महज शरारती तत्वों का हाथ बता रही है। परंतु पोस्टर में लिखी शैली से एकदम से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह नक्सलियों की कारस्तानी नहीं है। 1995 के आसपास डुमरिया एवं गुड़ाबांदा मे ऐसे ही सामाजिक संगठन बनाकर नक्सलियों ने धीरे-धीरे ग्रामीणों को अन्याय के विरुद्ध हथियार उठाने के लिए प्रेरित किया था। तभी बिहार पुलिस ने नक्सलवाद को पूरी तरह से नकार दिया था।


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