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94 साथियों को बचाने के बाद शहीद हुए थे मनोरंजन

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : इंडियन नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर मनोरंजन कुमार आइएनएस सिंधुरत्‍‌न

By Edited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 02:48 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 02:48 AM (IST)

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : इंडियन नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर मनोरंजन कुमार आइएनएस सिंधुरत्‍‌न में हुए हादसे में अपने 94 साथियों को बचाने के बाद शहीद हुए थे। उनकी इसी वीरता के लिए उन्हें 15 अगस्त 2014 को मरणोपरांत शौर्य चक्र दिया गया। बिहार के समस्तीपुर जिले के श्रीरामपुर अयोध्या गांव के मूल निवासी और वर्तमान समय में वास्तु विहार बालीगुमा में रह रहे भारतीय सेना से अवकाश प्राप्त मनोरंजन के पिता नायब सूबेदार नवीन कुमार चौधरी बताते हैं कि बीटेक करने के बाद 2004 में मनोरंजन का चयन इंडियन नेवी में हुआ। एक जनवरी 2009 को मनोरंजन को कमीशन प्राप्त हुआ। मुंबई, गुजरात के जामनगर, विशाखापट्टनम में नौकरी करने के बाद मनोरंजन की पोस्टिंग फिर मुंबई में आइएनएस सिंधुरत्‍‌न पर बतौर लेफ्टिनेंट कमांडर हुई। यहां भी वे अपना कार्यकाल पूरा कर चुके थे और उनके ट्रांसफर की घोषणा हो गई थी, जब सिंधुरत्‍‌न के कंपार्टमेंट नंबर तीन में लगी बैट्रियों में शार्ट सर्किट होने से बड़ा हादसा हो गया।

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पति की शहादत पर गर्व

आदित्यपुर : शहीद मनोज कुमार की शहादत पर उनके परिवार को गर्व है। उनकी पत्‍‌नी अपने पुत्र व पुत्री को सेना में भेजना चाहती हैं। शहीद मनोज कुमार की पत्‍‌नी सुनीता ने बताया कि उनके पति मनोज कुमार 246 मीडियम रेजीमेंट में पदस्थापित थे। 2013 में वे जम्मू कश्मीर के बसौली पोस्ट पर तैनात थे। यहां आतंकियों के खिलाफ सेना द्वारा चलाए गए एक आपरेशन के दौरान दुश्मन की गोली लगने से वे शहीद हो गए। सुनीता आदित्यपुर दो, मार्ग संख्या नौ स्थित अपने पिता महेश शर्मा के साथ रहती हैं ताकि दोनों बच्चों को बेहतर देकर देश की सेवा करने के लिए सेना में भेज सकें। सुनीता कहती हैं कि पति को खोने का गम तो है, परंतु उनके पति देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए, इसका गर्व है।

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शहीद किशन ने पाक फौज से लिया था लोहा

जमशेदपुर : कीताडीह त्रिमूर्ति चौक निवासी बीएसएफ के जवान शहीद किशन कुमार दूबे ने पाकिस्तानी फौज से जमकर लोहा लिया था। पाकिस्तान की ओर से आयी एक गोली उनकी आंख में जा लगी। सेना के अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी थी। 20 अगस्त 1991 को जन्मे किशन पढ़ाई पूरी करने के बाद एक नवंबर 2013 को सेना में भर्ती हुए। नौ जुलाई 2015 को जम्मू के कुपवाड़ा नौगाम सेक्टर के करम पोस्ट पर वे तैनात थे। दोपहर करीब 1.45 बजे पाकिस्तान ने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाब में किशन ने भी दुश्मन पर गोलियों की बौछार कर डाली। दोपहर 3.15 बजे पाकिस्तान की ओर से आयी एक गोली उनकी आंख में जा लगी। इलाज के लिए किशन को सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया मगर शाम 5.30 बजे अस्पताल में ही उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। किशन का पूरा परिवार जमशेदपुर के किताडीह त्रिमूर्ति चौक के निकट रहता है।

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शहीद जितेंद्र के अंतिम दर्शन तक न कर सके परिजन

-फोटो-24पीएसडीपी03-शहीद जितेन्द्र की फाइल फोटो

जमशेदपुर : देश के लिए कुर्बान हुए बागबेड़ा रोड नंबर-3 निवासी आर्मी के शहीद जवान जितेन्द्र कुमार शर्मा की पत्नी दुर्गावती देवी को आज भी इस बात का मलाल है कि उन्हें अपने पति के अंतिम दर्शन तक नहीं हुए। दानापुर रेजिमेंट में तैनात जितेन्द्र का जन्म 1945 में गांव दनवार रोहतास बिहार में हुआ था। बचपन से ही देश सेवा की भावना लिए जितेन्द्र पढ़ाई पूरी करने के बाद सेना में भर्ती हुए। भारत-श्रीलंका बॉर्डर पर तैनात जितेन्द्र 14 जून 1989 को आतंकवादियों के बिछाए गए लैंडमाइंस विस्फोट में शहीद हुए। पत्नी ने बताया कि जितेंद्र रात के नौ बजे खाना खाकर करीब 50 जवानों व अधिकारियों के साथ आतंकियों से समझौते के लिए निकले। आने-जाने का पूरा रूट-चार्ट बना लिया गया था। मगर लौटते समय उग्रवादियों बिछाए गए लैंडमाइंस विस्फोट में वे शहीद हो गए। जितेन्द्र का शव परिवार तक नहीं पहुंचने का दुख आज भी उनकी पत्नी दुर्गावती को है। वे कहती हैं कि उनके नाम पर फौज की ओर से उनके कुछ सामान ही उन तक पहुंचाए गए। दुर्गावती को इस बात का गर्व है कि उनके पति ने देश की सेवा करते हुए अपनी जान गंवाई। साथ ही इस बात का मलाल है कि समय के साथ लोग उनकी शहादत को भूलते जा रहे हैं।


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