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प्यार, अंधविश्वास और प्रतिशोध में पूरे परिवार की बलि, रोंगटे खड़े कर देंगे ये हत्याकांड

आइए, आपको बताते हैं पूर्वी सिंहभूम के चर्चित हत्याकांडों के बारे में। इन हत्याकांडों में सजा भी हुई। कई सजा भुगतकर बाहर भी निकल गए।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 05:38 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 05:38 PM (IST)
प्यार, अंधविश्वास और प्रतिशोध में पूरे परिवार की बलि, रोंगटे खड़े कर देंगे ये हत्याकांड
प्यार, अंधविश्वास और प्रतिशोध में पूरे परिवार की बलि, रोंगटे खड़े कर देंगे ये हत्याकांड

जमशेदपुर, जेएनएन। सालों गुजर जाने के बाद भी ये हत्याकांड लोग भूल नहीं पाए हैं। याद कर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। किसी ने प्यार में पूरे परिवार का सफाया कर दिया तो किसी ने अंधविश्वास में पत्नी-बच्चों के टुकड़े कर दिए। किसी ने बदले की आग में नाते-रिश्तेदारों को मौत के घाट उतार दिया। आइए, आपको बताते हैं पूर्वी सिंहभूम के चर्चित हत्याकांडों के बारे में। इन हत्याकांडों में सजा भी हुई। कई सजा भुगतकर बाहर भी निकल गए। कई जेल से बाहर निकलकर सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं।

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चैताली-रिजवान प्रकरण

जमशेदपुर के घोड़ाबांधा इलाके का यह मामला वर्ष 1999 का है। गोविंदपुर थाना इलाके घोड़ाबांधा में चैताली ने अपने प्रेमी रिजवान के साथ मिलकर अपने माता-पिता, भाई और नानी की निमर्मतापूर्वक हत्या कर दी थी। वजह यह थी कि ये रिश्तेदार प्रेम में बाधक बन रहे थे। सबों की लाश शौचालय की टंकी में मिली थी। चैताली और रिजवान जेल भेजे गए। अदालत में दोनों को फांसी की सजा सुनाई। उपरी अदालत में फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील हुई। इस बीच चैताली के बच्चे भी हुए। चैताली और रिजवान सजा काटकर जेल से बाहर आ चुके हैं। दोनों उस प्रकरण को परिस्थितिजन्य हालातों का हवाला देकर जिंदगी गुजार रहे हैं। वे इस कसूर का मलाल होने की बात भी करते हैं। रिजवान बेहतर क्रिकेट खिलाड़ी था। हत्याकांड की वजह से क्रिकेट में उसका कैरियर नहीं बन सका। अब वह अपने बच्‍चे को बेहतर खिलाड़ी बनते देखना चाहता है।

वकील ने कर दी थी पत्नी, पुत्र और पुत्री की हत्या

जमशेदपुर के मानगो में रहनेवाले वकील माणिक मुखर्जी ने अंधविश्वास में अपनी पत्नी और पुत्री की हत्या कर दी थी। उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। निचली अदालत ने दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। बाद में उपरी अदालत ने अपील याचिका पर फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी। सजा काटने के बाद वकील जेल से बाहर आ गए।

दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या

बागबेड़ा थाना इलाके में नाबालिग बच्ची की दुष्कर्म के बाद पकड़े जाने के भय से हत्या कर दी गई थी। मामले में बागबेड़ा के फिरंगी पासवान को जेले भेजा गया था। 18 फरवरी 2011 को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में फांसी की सजा आजीवन सजा में तब्दील कर दी। वह जेल में सजा काट रहा है।

तंत्र सिि‍द्ध के लिए मासूम की बलि

पूर्वी सिंहभूम के पोटका इलाके में एक तांत्रिक ने ढाई साल के मासूम की बलि दे दी थी। तंत्र विद्या में सिद्धि को के लिए नरबलि मामले में तांत्रिक तारा सरदार को जेल भेजा गया। अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी।

भाई, भाभी, भतीजी की हत्या

घाटशिला के डुमरिया के खैरपाल गांव में भाई, भामी और भतीजी की भुजाली से काटकर हत्या कर दी गई थी। इस क्रूरतम वारदात को 6 जुलाई 2017 को इस वजह से अंजाम दिया गया क्योंकि भतीजी पर गलत नीयत रखता था। भाई गुरुचरण महाकुड़, विमला महाकुड़ और भतीजी की निर्मम हत्या करने के बाद आरोपित ने भतीजा राजेश महाकुड़ को धारदार हथियार घोंप कर घायल कर दिया था। भतीजे की गवाही पर अदालत ने सुदर्शन महाकुड़ को फांसी की सजा सुनाई। 

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