'हो' भाषा आंदोलन छेड़ने का शंखनाद
जागरण सवाददाता, जमशेदपुर : आदिवासी हो समाज महासभा एवं आदिवासी हो समाज युवा महासभा के संयुक्त तत्व
जागरण सवाददाता, जमशेदपुर : आदिवासी हो समाज महासभा एवं आदिवासी हो समाज युवा महासभा के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को 'अखिल भारतीय हो भाषा साहित्य सम्मेलन-2016' का आयोजन किया गया। इसमें 'हो' भाषा के भविष्य पर मंथन किया गया। इस सम्मेलन में कई प्रदेशों से आए हो समाज के बुद्धिजीवियों ने 'हो' को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की रणनीति भी बनाई। इसमें हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए सामाजिक व राजनैतिक आंदोलन छेड़ने का शंखनाद किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता महासभा के अध्यक्ष कृष्णा चंद्र बोदरा ने की। बताते चलें कि झारखंड के अलग-अलग इलाकों समेत कोल्हान में हो भाषा बोलने वाले आदिवासियों की अच्छी खासी तादात है।
सीतारामडेरा स्थित आदिवासी एसोसिएशन हॉल में आयोजित इस सम्मेलन में पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। डॉ. अजय ने सम्मेलन में कहा कि सांसद रहते उन्होंने संसद में हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था। वहीं प्रोफेसर संध्या सिन्हा ने कहा कि हो भाषा साहित्य निर्माण के क्षेत्र में संस्कृति, जीवन दर्शन, भाषा-व्याकरण एवं लोककथाओं को का खास महत्व होता है। उन्होंने समाज में इतिहास की अहमियत पर भी प्रकाश डाला।
सम्मेलन में डोबरो बुड़ीउली, घनश्याम गगराई, बसंत चाकी, सरस्वती गगराई, संध्या सिन्हा ने हो के साहित्य निर्माण को लेकर सूक्ष्म जानकारियां हो समाज के बुद्धिजीवियों के साथ साझा की। सम्मेलन में बिहार के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष देवेंद्रनाथ चांपिया ने कहा कि हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राजनैतिक स्तर पर प्रयास किये जाने की जरूरत है। वहीं ओडिशा के पूर्व विधायक प्रहलाद पूर्ति, टीसी केराई, जयपाल मुंदुइया, मधुसूदन बारला ने अपने संबोधन में हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए सामाजिक व राजनैतिक आंदोलन करने की अपील की। सम्मेलन में सूरा बिरुली, गब्बर सिंह हेम्ब्रम, वीरसिंह बिरुली, उपेंद्र बानरा, शेरसिंह बिरुवा, रवि सवैंया, दुगाई कुंकल, विजय बारी, सुशील सवैंया, विजय कईका, चांदमनी कुंकल, कृष्णा बिरुवा, मुकेश कारवा, दुगाई कुंकल, प्रधान बानसिंह, लक्ष्मण सामड, राम सामड आदि उपस्थित थे।