समय पूर्व प्रसव, दम तोड़ रहे नवजात
केंद्र बच्चे का जन्म मौत बहरागोड़ा 1714 10 चाकुलिया 1252 0
केंद्र बच्चे का जन्म मौत
बहरागोड़ा 1714 10
चाकुलिया 1252 06
धालभूमगढ़ 968 13
डुमरिया 791 24
घाटशिला 1407 01
जुगसलाई 1461 16
मुसाबनी 909 16
पटमदा 1256 16
पोटका 1479 00
अर्बन जमशेदपुर 16268 09
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एमजीएम का आंकड़ा
माह जन्म पूर्व प्रसव
जनवरी 750 110
फरवरी 788 118
मार्च 522 79
अमित तिवारी, जमशेदपुर
समय पूर्व प्रसव जच्चा-बच्चा के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। कोल्हान के सबसे बड़े महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।
सामान्य व सर्जरी के माध्यम से प्रति माह करीब 20-25 प्रसव होता है। इसमें से 10-15 फीसद प्रसव समय से पूर्व होता है जिसमें 5-7 फीसद नवजात की मौत हो जाती है। यह नवजात कई तरह की बीमारियों के शिकार रहते हैं। अस्पताल प्रबंधन की समीक्षात्मक बैठक में यह हैरान करने वाली रिपोर्ट निकलकर सामने आई है। इसके रोकथाम के लिए एक टीम भी गठित की गई है जो प्रत्येक माह की रिपोर्ट दर्ज करेगी और विशेषज्ञ डॉक्टर उसपर विस्तार से चर्चा करेंगे।
सरकारी आंकड़ों के आधार पर डाटा एनालिस्ट इंडिया स्पेंड ने एक ताजा अध्ययन जारी किया है। इसमें बताया गया है कि समय पूर्व जन्म और कम वजन भारत में नवजातों की मौत की सबसे बड़ी वजह है। इसके चलते यहां हर साल 48.10 फीसद नवजातों की कुल मौतों से 26 फीसद केवल भारत में होती हैं।
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डुमरिया में सबसे अधिक मौत
एमजीएम को छोड़ वर्ष 2016 में पूर्वी सिंहभूम जिले में कुल 111 नवजात की मौत हुई है। सबसे अधिक डुमरिया प्रखंड में 24 बच्चों की मौत विभिन्न कारणों से हुई। उसके बाद जुगसलाई सह गोलमुरी, मुसाबनी व पटमदा में 16-16 बच्चे व 23 गर्भवती की मौत हुई है। हलांकि, यह आंकड़ा इससे भी कहीं अधिक बतायी जा रही है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी करीब 30 फीसद प्रसव घर में ही होता है।
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बच्चों की होगी ऑनलाइन निगरानी
यूनिसेफ की ओर से बुधवार को एमजीएम अस्पताल के शिशु रोग विभाग में एक बैठक हुई। इसमें नवजातों को बेहतर सुविधा देने के लिए डॉक्टर, नर्स व कर्मचारियों को टिप्स दिए गए। तय हुआ कि नवजात की बेहतर देखभाल के लिए एक बेवसाइट पर उससे संबंधित जानकारी लोड करनी होगी, ताकि नियमित रूप से बच्चों की देखभाल की जा सके।
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नवजात शिशु मृत्यु दर
यदि नवजात शिशु की मौत जन्म के 29 दिनों के अंदर हो जाए तो इसे न्यू-नेटल मॉरटेरिटी या नवजात शिशु मृत्यु दर कहा जाता है। ऐसी सात लाख मौतें भारत में हर साल होती है।
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समय पूर्व जन्म (प्री-टर्म)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्री-टर्म शिशु वह होता है जिसका जन्म गर्भावस्था की 37 सप्ताह की अवधि पूरी होने से पहले हो जाता है। कई बार ऐसे नवजातों का वजन 2.5 किलोग्राम से कम होता है जो इनके लिए घातक साबित होता है।
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कोट ::
समय पूर्व प्रसव की मुख्य वजह है माताओं की खराब सेहत। गर्भधारण के दौरान उन्हें पर्याप्त पोषण भी नहीं मिल पाता। पूर्व प्रसव होने से नवजात कम वजन, अन्य गंभीर बीमारी, संक्रमण, श्वास अवरोध सहित अन्य कारणों से उनकी मौत हो जाती है।
- डॉ. शिखा रानी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, एमजीएम।