एक दीया शहीदों के नाम
'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात माता और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है। आदमी जन्म
'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात माता और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है। आदमी जन्म से नहीं, कर्म से महान होता है। ऐसे में हमारे जो सैनिक मातृभूमि की रक्षा करते हैं और उस कर्तव्य की आहुति में खुद को बलिदान कर देते हैं, उससे बड़ा त्याग कुछ नहीं हो सकता। हम सैनिकों के इस कर्म या बलिदान का ऋण सात जन्म लेकर भी नहीं चुका सकते। इसलिए हर नागरिक का यह फर्ज बनता है कि वे सैनिकों के लिए यथासंभव योगदान करें। हमें आसपास जो भी सैनिक किसी परेशानी में दिखे, बढ़-चढ़कर उनकी मदद करें। ट्रेन, बस में सफर के दौरान उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ हो तो उनकी सहायता करें। सेवानिवृत्त सैनिकों या शहीद परिवार के लिए कोई कोष बनाएं, ताकि संकट की स्थिति में उनकी तत्काल मदद की जा सके। सरकार तो उनके लिए काफी कुछ करती ही है, आम नागरिकों को भी अपना दायित्व निभाना चाहिए।
- प्रभाकर सिंह, महासचिव, सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री