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मन में दहशत, चेहरे पर खौफ की दास्तान

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पटना के राजेन्द्रनगर ट्रर्मिनल में शुक्रवार की रात हुए हंगामे के बाद

By Edited By: Published: Sun, 24 Jul 2016 03:03 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2016 03:03 AM (IST)

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पटना के राजेन्द्रनगर ट्रर्मिनल में शुक्रवार की रात हुए हंगामे के बाद साउथ बिहार एक्सप्रेस में यात्रियों ने दहशत में 12 घंटे का सफर तय किया। हर किसी का चेहरा सिर्फ खौफ की दास्तान बयां कर रहा था। हर कोई जल्द से जल्द अपने गंतव्य तक पहुंचना चाहता था। कोच में ऐसा सन्नाटा किस मानो सांप सूंघ गया हो। ट्रेन के टाटानगर पहुंचने के बाद यात्रियों ने राहत की सांस ली। ट्रेन शनिवार की सुबह करीब 4.15 बजे राजेन्द्रनगर से खुली और टाटानगर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर दोपहर करीब 3.35 बजे पहुंची।

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राजेन्द्रनगर में हुई घटना के बाद सेकेंड व थर्ड एसी की बोगियों को काट कर अलग करने के बाद शनिवार की सुबह ट्रेन को टाटानगर के लिए रवाना किया गया। एसी बोगी अलग होने पर एसी के अधिकांश यात्रियों ने अपनी यात्रा रद कर दी। वहीं टाटानगर स्टेशन से एसी बोगी में यात्रा करने वालों को भी टिकट रद करानी पड़ी।

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रविवार को बिना एसी कोच दौड़ेगी ट्रेन

राजेन्द्रनगर कोचिंग के समीप ट्रेन की चपेट में आने से एक छात्र की शुक्रवार की रात हुई मौत के बाद हुए हंगामे में एसी कोच को आग के हवाले करने के बाद रेल प्रबंधन ने एसी कोच ट्रेन से अलग कर दिया था। जिसके बाद साउथ बिहार एक्सप्रेस को बिना एसी कोच के दुर्ग से रवाना की गई। वहीं रविवार को दुर्ग से राजेन्द्र नगर जाने वाली ट्रेन नंबर 13288 डाउन साउथ बिहार एक्सप्रेस में भी एसी कोच नहीं लगेगा। इसमें एसी की जगह स्लीपर कोच लगाया जाएगा। यह जानकारी चक्रधरपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम सत्यम प्रकाश ने दी। इस ट्रेन में फ‌र्स्ट एसी एक, सेकेंड एसी दो एवं थर्ड एसी के तीन कोच लगे रहते हैं।

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एक किलोमीटर पैदल चले यात्री

साउथ बिहार एक्सप्रेस में सफर कर रहे विकास शर्मा ने बताया कि राजेन्द्रनगर से खुलने के बाद ट्रेन ने मुश्किल से दस मिनट की दूरी तय की होगी की ट्रेन पर पथराव शुरू हो गया। ट्रेन खाली करने के बाद सभी यात्री अंधेरे में ही उबड़ खाबड़ जमीन पर पैदल ही वापस राजेन्द्रनगर की ओर लौटने लगे।

यात्री बाबूलाल ने बताया कि राजेन्द्रनगर स्टेशन पर वापस लौटने के बाद पूरी रात उनलोगों ने दहशत में बिताई। बच्चे, बड़े सभी के चेहरे पर खौफ साफ नजर आ रहा था। पुलिस बल था, लेकिन फिर भी उत्पतियों के भय के कारण उनलोगों की नींद उड़ चुकी थी।

यात्री शंभू सिंह ने बताया कि ट्रेन पर एक साथ सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हमला कर दिया था सभी ने हाथों में पत्थर, लाठी-डंडे ले रखे थे। कुछ लोगों ने तो अपने चेहरे को रूमाल से ढक रखा था और यात्रियों के सामान की छिनतई करने में लगे हुए थे। दहशत के कारण कई यात्रियों ने यात्रा रद कर दी, लेकिन जिनकी मजबूरी थी वे रात भर ट्रेन खुलने का इंतजार करते रहे।

यात्री मो. आलम ने बताया कि शनिवार की सुबह ट्रेन राजेन्द्रनगर से खुलने के बाद भी यात्रियों में दहशत थी। यात्री किसी तरह अपने घर पहुंचना चाहते थे। टाटानगर आने के बाद यात्रियों ने थोड़ी राहत की सांस ली। जब ट्रेन में पथराव हो रहा था तो बस यात्रियों के शोर व रोने चिल्लाने की सुनाई दे रही थी। लगा कि अब जान बचाना मुश्किल है।


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