स्थानीय नीति में संशोधन से मिट जाएंगे आदिवासी-मूलवासी
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद द्वारा रविवार को पुराना सीतारामड
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद द्वारा रविवार को पुराना सीतारामडेरा स्थित बिरसा स्पोर्टिग क्लब में परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय नीति व सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिषद के जिलाध्यक्ष डॉ. बिंदु पाहन ने कहा कि इस स्थानीय नीति से आदिवासी-मूलवासी का भला नहीं होगा, बल्कि झारखंड से आदिवासी-मूलवासी मिट जाएंगे। सरकार ने उनके साथ नाइंसाफी की है। स्थानीय होने के लिए तय मानकों से आदिवासी-मूलवासी को नहीं बचाया जा सकता है। परिषद सरकार को जल्द ही स्थानीयता का प्रारूप सौंपेगी, जो झारखंड के आदिवासी-मूलवासी के हक और अधिकार को ध्यान में रखकर बनाय गया है। प्रदेश सचिव बसंत तिर्की ने कहा कि खतियान को वर्ष 2002 में झारखंड हाईकोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि खतियान को स्थानीयता का आधार नहीं माना जा सकता। इससे कई खामियां हो सकती हैं, बल्कि भाषा, संस्कृति या जातिगत सूची को आधार बनाया जा सकता है। तिर्की ने कहा कि झारखंड की तुलना अन्य राज्यों से करना सही नहीं होगा। इस अवसर पर मुंडा समाज के शोभा सामंत व नंदलाल पातर ने सरकार द्वारा संशोधित नीति के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। इस दौरान राजकुमार पासवान, गणेश राम, विष्णु बानरा, प्रकाश कोया, राजू भुइयां, राजेश कडेयान, बुधराम खालको, जगदीश मुंडा, कृष्णा सांडिल, राधा मुंडा, सुरा बिरुली, गबर सिंह हेम्ब्रम आदि उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन मुखी समाज के शंभू मुखी ने किया।