जय-जय उत्कल जननी..
जमशेदपुर, निज प्रतिनिधि :
जय-जय उत्कल जननी..। यह उद्घोष उत्कल दिवस के मौके पर शुक्रवार को उपस्थित लगभग सभी अतिथियों ने दोहराया। उत्कल एसोसिएशन में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि झारखंड के पुलिस महानिदेशक गौरीशंकर रथ तो इतिहासवेत्ता की भूमिका में दिखे। अपने संबोधन में उन्होंने न केवल मुगलकाल से अब तक के उड़ीसा का इतिहास बताया, बल्कि कई ऐसे अनछुए पहलुओं को भी उजागर किया जिससे अधिकांश लोग अनभिज्ञ थे। डीजीपी ने कहा कि आज हम जो उड़ीसा का आकार देखते हैं, वह राजा मुकुंद देव के समय इससे काफी बड़ा था। इसके बाद आए मुगलशासकों ने उनके साम्राज्य को तहस-नहस करके छोटा बना दिया। फिर मराठा आए, तो 1903 में अंग्रेज। उसी समय उत्कल गौरव मधुसूदन दास ने उड़िया भाषा व संस्कृति की रक्षा का आंदोलन शुरु किया, जिसमें उत्कलमणि गोपबंधु दास समेत कई राजे-रजवाड़े भी शामिल हुए। इसी क्रम में 1948 में जब भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल रियासतों को मिला रहे थे, मयूरभंज के राजा रामचंद्र भंजदेव अड़ गए। उसी का नतीजा है कि सरायकेला, खरसावां व सिंहभूम बिहार में चला गया, जिसका उड़ियाभाषियों को आज भी मलाल है। डीजीपी ने कहा कि हर उडि़याभाषी को उड़ीसा का इतिहास जानना चाहिए, भले ही वह कहीं रहे। उसे उड़िया भाषा-संस्कृति की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भुवनेश्वर से आए विख्यात गायिका सुष्मिता दास के साथ गायक कार्तिक कुमार व कुमार विष्णु ने भी समां बांध दिया।
इस मौके पर झारखंड के कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल, डा. दिनेशानंद गोस्वामी, मनोरंजन दास, एसके बेहरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुधीर महतो, डा. एनके दास, अभिन्न कुमार पहि, एटी मिश्रा, रोहित सिंह, एसोसिएशन के अध्यक्ष रवींद्रनाथ सत्पथी, महासचिव ताराचंद मोहंती आदि उपस्थित थे।
गोलमुरी में भी रही धूम
गोलमुरी उत्कल समाज में भी उत्कल दिवस धूमधाम से मनाया गया, जिसमें भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भृगुबख्शी पात्रा व उड़ीसा के पूर्व राजस्व मंत्री मनमोहन सामल के अलावा झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री विधायक रघुवर दास भी उपस्थित थे। यहां कटक के कलाकारों ने ओडिसी व संबलपुरी नृत्य प्रस्तुत किया।
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