..काश रोज-रोज आते प्रधानमंत्री
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बिजली-पानी के लिए तरस रहे गैर कंपनी इलाकों के लोग तो अब कहने लगे हैं कि
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बिजली-पानी के लिए तरस रहे गैर कंपनी इलाकों के लोग तो अब कहने लगे हैं कि काश रोज-रोज जमशेदपुर आते प्रधानमंत्री। क्योंकि 24 अप्रैल को गैर कंपनी क्षेत्र में मात्र छह बार लोड शेडिंग हुई थी और इसके कारण कुल छह घंटे 40 मिनट बिजली गुल रही। प्रधानमंत्री के जाते ही गैर कंपनी इलाकों में तो मानो आफत आ गई। रोज जहां तहां फाल्ट हो रहे हैं और लोग बिजली के साथ ही पानी के लिए भी तरस रहे हैं। इस बात की गवाही बिजली विभाग के आंकड़े खुद दे रहे हैं। 25 अप्रैल को गैर कंपनी क्षेत्र में सात बार लाइन कटी और इसके चलते नौ घंटे बिजली गुल रही। 26 अप्रैल को सात बार बिजली कटी और आठ घंटे 20 मिनट बिजली की आपूर्ति बाधित रही। 27 अप्रैल को भी सात बार बिजली काटी गई और इसकी वजह से आठ घंटे तक लोग अंधेरे में रहे। 28 अप्रैल को तीन बार बिजली काटी गई और लोगों को 14 घंटे 25 मिनट तक बिजली रानी के दर्शन नहीं हुए। 29 अप्रैल को भी यही हाल रहा। इस दिन छह बार नियमित कटौती तो हुई ही साथ ही शाम पांच बजे रात साढे़ 11 बजे तक बिजली काटी गई जिसके कारण 12 घंटे 25 मिनट तक लोग भीषण गर्मी में परेशान रहे।
काबिलेगौर है कि हर साल गर्मी में गैर कंपनी इलाके के लोग बिजली के लिए तरसते हैं। उन्हें महज 10-12 घटे ही बिजली मिल पाती है। इस भयकर गर्मी में लोगों को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। रात को होने वाली कटौती से लोगों की नींद पूरी नहीं हो पा रही। शहर के आधे से ज्यादा लोग हर गर्मी में परेशान रहते हैं और सरकार व अफसर सारा मामला अधिक लोड होने का कह कर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर लेते हैं। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम वाले दिन बिजली विभाग ने न जाने कौन सी जादू की छड़ी की ईजाद कर ली थी कि उस दिन न तो कोई फाल्ट हुआ और न ही खपत के हिसाब से आपूर्ति ही कम हुई। और तो और विभाग जिन तारों को लोड नहीं उठा सकने वाले बताता उन्हीं तारों से फुल लोड बिजली मिली और वोल्टेज भी अच्छा था। बाकी दिनों में विभाग ने यह छड़ी कहां गुम दी, लोगों ये जानने को बेताब हैं। इससे तो बस यही साबित होता है कि कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों व सरकार में इच्छा की कमी हैं।
सबसे बुरा हाल मानगो का है। मानगो समेत शहर के गैर कंपनी इलाके में बिजली आपूर्ति का ढाचा बहुत जर्जर है। 17 मेगावाट से ज्यादा लोड देने पर शहर के पुराने तार टूट कर गिरने लगते हैं और ब्रेकर फेल हो जाते हैं। शहर के सब स्टेशन अगर आठ मेगावाट क्षमता के हों तो बिजली आपूर्ति में अपेक्षित सुधार हो सकता है, लेकिन इतना लोड शहर के तार उठा नहीं पा रहे हैं।
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एक-एक कर चलते हैं फीडर
मानगो के छह फीडर लोड नहीं लेने के चलते बारी-बारी से चलाए जाते हैं। बरसात और सर्दियों में चार फीडर चलते हैं और दो फीडरों को बद रखा जाता है। गर्मी में तीन फीडर ही एक चल सकते हैं और इन फीडरों के इलाके में ही बिजली आपूर्ति होती है। बाकी तीन फीडर सतर्कता के तौर पर बद होने की वजह से इन फीडरों के इलाके में बिजली आपूर्ति ठप रहती है। जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी उठानी पड़ती है।