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जब तक संस्कृति, तब तक संस्कृत : सरयू

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : ग्रेजुएट कॉलेज में संस्कृत संभाषण शिविर का सोमवार को विधिवत समापन हो गया

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 01:01 AM (IST)
जब तक संस्कृति, तब तक संस्कृत : सरयू

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : ग्रेजुएट कॉलेज में संस्कृत संभाषण शिविर का सोमवार को विधिवत समापन हो गया। समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में कामेश्वर संस्कृत विद्यालय दरभंगा के पूर्व कुलपति डा. सतीश चंद्र झा थे। स्वागत भाषण कॉलेज की की प्राचार्या डा. ऊषा शुक्ल ने दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरयू राय ने कहा कि यह अफसोस है कि संस्कृत को बचाने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ रहा है जबकि सभी भाषाओं की जननी संस्कृत है। इसके लिए हम और आप दोषी हैं। संस्कृत स्मरण शक्ति बढ़ाती है, सिर्फ यहीं नहीं हम इससे निरोग भी रहते हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि संस्कृत के उच्चारण से मांसपेशियों में हल्का तनाव आता है। उन्होंने कहा कि जब तक भारतीय संस्कृति है, तब तक संस्कृत का भविष्य सुरक्षित है।

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कामेश्वर संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. सतीश चंद्र झा ने काफी सरल अंदाज में संस्कृत में अपना वक्तव्य रखा। कहा कि संस्कृत की आलोचना करने वाले लोगों को हमें इसी सरल संस्कृत में जवाब देना है। संस्कृत को और लचीला बनाये जाने की जरूरत है। कार्यक्रम के दौरान शिविर की संचालिका सह ग्रेजुएट कॉलेज की संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. रागिनी भूषण ने मंत्री से संस्कृत को कक्षा दस तक अनिवार्य करने की मांग रखी। समापन समारोह के दौरान विज्ञापन पर आधारित लघु नाटिका का मंचन भी छात्राओं ने किया। इसमें शिक्षकाओं ने भी भाग लिया। इस अवसर पर शिविर के दौरान सीखे गये अनुभवों को बेला सागर, श्रृंगारिका दास व सरिता कुमारी ने संस्कृत में ही साझा किया। कार्यक्रम के दौरान लगभग 60 सदस्यों को संस्कृत भारती द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र मंत्री सरयू राय ने वितरित किया।

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ग्रेजुएट में अब संस्कृत प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर

संस्कृत भारती के रमेश कुमार ने संस्कृत संभाषण शिविर में काफी भावुक हो गये। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि संस्कृत को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें छह लाख रुपये की आवश्यकता है। संस्कृत को घर-घर तक पहुंचाना इसका लक्ष्य है। इस रुपये का इंतजाम होने पर एक साल के अंदर कम से कम जमशेदपुर शहर के कॉलेजों व स्कूलों के बच्चे संस्कृत बोल पायेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए ग्रेजुएट कॉलेज में सितंबर के पहले सप्ताह से संस्कृत प्रशिक्षक प्रशिक्षण का शुभारंभ किया जा रहा है। इसमें उनके जैसे और संस्कृत के प्रशिक्षक उभरेंगे। इससे संस्कृत का आसानी से शहर वासियों के बीच विस्तार होगा।


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