गया के युवक ने की थी रामकशल यादव की रेकी
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर: बागबेड़ा कॉलोनी रोड नंबर चार निवासी ठेकेदार रामशकल यादव की हत्या के लिए
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर:
बागबेड़ा कॉलोनी रोड नंबर चार निवासी ठेकेदार रामशकल यादव की हत्या के लिए बिहार के गया निवासी एक युवक ने शूटरों के साथ रेकी की थी। वह रामशकल की हत्या के दिन भी शूटरों के साथ ही था। शूटरों को घटनास्थल जुबिली पार्क तक पहुंचाने और इसके बाद उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में भी उसकी ही अहम भूमिका थी। पुलिस ने युवक की तलाश में गया में उसके पैतृक आवास पर छापामारी भी की, लेकिन वह भागने में सफल रहा। उसके खिलाफ गया जिले में एक मामला दर्ज है और वह गया के अकरी का रहने वाला है। वह हत्या के मामले में बिष्टुपुर थाने में बुधवार को आत्मसमर्पण करने वाले उपेंद्र सिंह के संपर्क में था। एसएसपी अनूप टी मैथ्यू की मानें तो रामशकल यादव की हत्या में उपेंद्र सिंह ने अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है और यह भी बताया है कि कैसे-कैसे घटना को अंजाम दिलवाया गया।
रामशकल से तंग आ चुका था विक्की तपाड़िया
सवा दो करोड़ के लेन-देन के विवाद में रामशकल यादव तापड़िया कंस्ट्रक्शन के विकास कुमार उर्फ विक्की तापड़िया पर भारी पड़ रहा था। आरटीआइ के तहत रामशकल यादव ने विक्की तापड़िया के कारोबार एवं अन्य गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे विक्की तापड़िया परेशान था। उसे लग रहा था रामशकल उसे व्यापारिक नुकसान पहुंचा सकता है। इस कारण ही उसने रामशकल यादव को रास्ते से हटाने का मन बनाया। तापड़िया कंस्ट्रक्शन का कार्य बागबेड़ा, घाघीडीह, आदित्यपुर, बिष्टुपुर, कोलकाता समेत अन्य स्थानों पर चल रहा था। उपेंद्र सिंह ने मामले में पंचायती कराई थी। रामशकल ने किसी की बात नहीं मानी। तब विक्की तापड़िया ने उपेंद्र सिंह के माध्यम से रामकशल की हत्या किए जाने की योजना तैयार की। सुपारी की रकम भी तय की गई। उपेंद्र ने हत्या के लिए हथियार के साथ पटना के शूटर तैयार किए। एक अगस्त को रामशकल की हत्या जुबिली पार्क गेट संख्या दो के पास कर दी गई।
दस दिन पूर्व बनी थी हत्या की योजना
रामशकल यादव की हत्या के लिए 20 जुलाई को योजना बनाई गई और एक अगस्त को इसे अंजाम दिया गया। शूटर मानगो में बीते एक वर्ष से ठहरे हुए थे।
बिहार के कई अपराधियों से उपेंद्र के संपर्क
एसएसपी ने बताया कि उपेंद्र सिंह का बिहार के कई अपराधियों से संपर्क है और उसने सभी को संरक्षण दे रखा है। ये सभी बिहार में वांटेड हैं। इनमें मोतिहारी, पटना व बेगूसराय के अधिकांश अपराधी हैं। मानगो बस स्टैंड स्थित याराना रेस्टोरेंट समेत शहर के अन्य इलाकों में इन्हें ठहराया जाता था। उपेंद्र सिंह के गैंग में अखिलेश सिंह से भी बड़े-बड़े अपराधी हैं। उपेंद्र सिंह की गतिविधियां सफेदपोश की तरह रही हैं।
अखिलेश को मारने के लिए खरीदा था हथियार
पुलिस के साथ-साथ पत्रकारों के समक्ष भी उपेंद्र सिंह ने कहा कि अखिलेश सिंह को मारने के लिए ही उसने हथियार खरीदा था जो पुलिस महकमा का है। पिस्तौल उस तक कैसे और किसने पहुंचाई, इसकी जानकारी पुलिस उससे एकत्र कर रही है। इसी पिस्तौल का उपयोग रामशकल की हत्या में शूटरों ने किया था। पुलिस को उपेंद्र सिंह ने बताया कि अखिलेश ंिसह से उसका छत्तीस का आंकड़ा है। उससे टक्कर लेने को ही उसने पिस्तौल खरीदी थी। पिस्तौल कहां से आयी, इसकी जानकारी उसने पुलिस को उपलब्ध कराई है।