लौहनगरी को बनना ही चाहिए स्मार्ट सिटी
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : स्मार्ट सिटी का नाम सुनते ही शहरवासियों की आंखों की चमक उठतीं हैं। लीज
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
स्मार्ट सिटी का नाम सुनते ही शहरवासियों की आंखों की चमक उठतीं हैं। लीज एरिया, 86 बस्ती, मानगो, जुगसलाई, परसुडीह जैसे पंचायती क्षेत्र में बंटे शहरवासी इससे ऊब से गए हैं। सभी चाहते हैं कि एक शहर में एक तरह का कानून हो, समान विकास हो, उससे भी बड़ी बात की जिम्मेदारी किसी एक संस्था या निकाय की हो।
फिलहाल अलग-अलग निकायों की छत्रछाया में पल रहे शहर में विकास का पैमाना भी अलग-अलग है। कहीं चौड़ी सड़कें और चकाचक गलियां हैं, तो कहीं खेल के मैदान में कचरे का अंबार। कहीं बजबजाती नालियां हैं, तो कहीं मॉडर्न ड्रेनेज सिस्टम। ऐसा कब तक चलेगा। अब तो हद हो गई, इस शहर को तो स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलना ही चाहिए। हर जुबां पर बस यही चर्चा है। लोगों का कहना है कि दोयम दर्जे की व्यवस्था से निजात पाने का यही मौका है। हालांकि झारखंड में स्मार्ट सिटी के लिए रांची व धनबाद के साथ-साथ बोकारो व देवघर के नामों की भी चर्चा है, लेकिन अपनी लौहनगरी इसकी पूरी योग्यता रखती है। यहां सबकुछ है, बस एक कलेवर चाहिए।
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नागरिकों की राय
अभी शहर के विकास की जिम्मेदारी किस पर है, नहीं पता। कुछ भी परेशानी हुई तो लोग विधायक-सांसद के पास जाते हैं। यदि निर्वाचित प्रतिनिधि होता, तो आसानी होती। लोग आसानी से संपर्क कर पाते।
- कमलेश कुमार, परसुडीह
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निर्वाचित जन प्रतिनिधि होना ही चाहिए। फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र में जिला परिषद कार्यरत है, तो उसका लाभ भी दिख रहा है। शहर में ले-देकर जिला प्रशासन की व्यवस्था चल रही है, जिसके पास सैकड़ों काम हैं। स्मार्ट सिटी या नगर निगम होगा तो विकास भी तेजी से होगा।
- गुलाम सरवर, बारीडीह
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कौन नहीं चाहेगा कि अपना शहर स्मार्ट सिटी ना बने। आखिरकार विकास सबको चाहिए। फिलहाल जो व्यवस्था है, ठीक है, लेकिन इसे और बेहतर बनाने की गुंजाइश है। हम चाहेंगे कि केंद्र सरकार इसे स्मार्ट सिटी का दर्जा दे।
- एस. चटर्जी, सोनारी
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यह शहर स्मार्ट सिटी बनेगा, तो नगर निगम जैसी व्यवस्था भी होगी। चुना हुआ जन प्रतिनिधि होगा, जो छोटे-छोटे कस्बों के विकास, साफ-सफाई और नागरिक सुविधाओं पर ध्यान देगा। अभी कोई भी समस्या पर हम किससे शिकायत करें, एकबारगी समझ में नहीं आता।
- मनमोहन झा, पारडीह
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मानगो क्षेत्र में सड़कों का निर्माण तो हुआ है, बिजली व्यवस्था में भी पहले से काफी सुधार है। समस्या है तो कचरा निष्पादन की। गलियों में कचरों का अंबार लगा रहता है। सफाई होती है, लेकिन पूरी तरह नहीं।
- महेश कुमार, डिमना रोड
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अभी सड़क-नाली का निर्माण हो या मरम्मत किसी न किसी खास व्यक्ति या दल की मर्जी से हो रहा है। जहां के लोग अपनी बात ऊपर तक नहीं पहुंचा पाते हैं, उनके क्षेत्र में विकास की किरण पहुंचते-पहुंचते काफी देर हो जाती है। प्राकृतिक समस्या समय के साथ तो खुद ही दूर हो जाती है, इसलिए पहले से योजना होनी चाहिए।
- पंकज कुमार, बारीडीह
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स्मार्ट सिटी बने, अच्छी बात है। लेकिन घोषणाएं सुन-सुनकर उनके कान पक गए हैं। सरकार के हाथ में विकास की चाबी चली जाएगी, तो उसका भी वही हश्र होगा जो अब तक होता आया है। गंगा सफाई का क्या हुआ, स्वच्छता अभियान से झाड़ू गायब हो चुका है। अब स्मार्ट सिटी से क्या मिलेगा, कहना मुश्किल है।
- असीम कुमार डे, बर्मामाइंस
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मानगो में सड़कों की स्थिति काफी बेहतर हुई, तो बिजली व्यवस्था भी ठीक-ठाक हो गई है। कमी है तो साफ-सफाई में, इसमें काफी सुधार की जरुरत है। अकेले अक्षेस सभी मर्ज की दवा है, तो सुनने वाले अकेले विशेष पदाधिकारी। ऐसी व्यवस्था बदलनी चाहिए।
- अनुराधा सिंह, मानगो
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स्मार्ट सिटी बनेगा तो जाहिर सी बात है कि व्यवस्था पूरी तरह सरकार के हाथ में चली जाएगी। अब तक सरकारी मशीनरी की जो छवि जनता के दिमाग में बसी है, उसमें सुधार जरुरी है। ईमानदारी से काम होगा, तभी इसका फायदा मिलेगा।
- राजनारायण अग्निहोत्री, जुगसलाई
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स्मार्ट सिटी ना केवल नागरिक सुविधाओं के लिहाज से बेहतर योजना है, बल्कि इससे आम लोगों की आर्थिक स्थिति में भी इजाफा होगा। सिटी एलाउएंस का लाभ हरेक कर्मचारी को मिलेगा, तो यहां का कारोबार भी बढ़ेगा।
- हेमंत कुमार, बारीडीह बस्ती