गरीबी हटाना है तो शिक्षा को बढ़ावा देना होगा : नेहा
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : जमशेदपुर के मानगो में रहने वाली नेहा को यूपीएससी की फाइनल परीक्षा में देश
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : जमशेदपुर के मानगो में रहने वाली नेहा को यूपीएससी की फाइनल परीक्षा में देश में 22वीं रैंक मिली है। संभवत: वह झारखंड की टॉपर है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भाटपारानी थाना के बनकटा-अमेठिया गांव निवासी नेहा ने प्लस टू की पढ़ाई 2006 में सेंट माईकल स्कूल पटना से की। इसके बाद 2011 में बिट्स पिलानी से केमिकल स्ट्रीम बीटेक किया। आइएएस के लिए दिल्ली से कोचिंग की। नेहा ने बताया कि उसे 2011 वेदांता समूह से नौकरी का ऑफर मिला था, लेकिन ज्वाइन नहीं किया। क्योंकि, उसके दिल में गरीबों के लिए कुछ करने की हसरत थी। इसी इच्छा को पूरा करने के लिए वह आइएएस बनना चाहती थी, जोकि उसने तीसरे प्रयास में 22वीं रैंक हासिल कर पूरी की। नेहा ने बताया कि उसने इस सफलता के लिए कड़ी मेहनत की तथा हर रोज लगभग 14 घंटे पढ़ाई की। जो उसका मकसद था, वह पूरा हो गया। अब देश की सेवा करने का मौका मिलेगा। नेहा ने बताया कि उसने एएलएस से आइएएस की कोचिंग की है।
नेहा ने इस सफलता का श्रेय माता गीता सिंह, पापा दिलीप कुमार सिंह, नाना, दादा समेत पूरे परिवार व दोस्तों को दिया। युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि असफलता से घबराने की जरुरत नहीं है, बस सफलता का प्रयास होना चाहिए। उसने कहा कि कैडर जो मिले लेकिन झारखंड पहली पसंद है। देश में गरीबी के बारे में नेहा का कहना था कि अशिक्षा ही गरीबी का मूल कारण है। गरीबी हटाना है तो शिक्षा को बढ़ावा देना होगा, तभी भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। गरीबों की सेवा उसका पहला लक्ष्य है। उसने कहा कि स्लम एरिया में काम करना काफी अच्छा लगता है। वह कई बार पटना, दिल्ली व देवरिया में छुट्टी के दिनों में स्लम एरिया में काम कर चुकी है।
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घाटशिला में सहायक अभियंता है नेहा के पिता
जमशेदपुर : यूपीएससी की परीक्षा में देश भर में 22 वां प्राप्त करनेवाली नेहा के पिता दिलीप कुमार सिंह ग्रामीण कार्य विभाग घाटशिला के सहायक अभियंता हैं। नेहा के मामा हजारीबाग में एक्ज्यूकेटिव मेजिस्ट्रेट है। नाना आरएन सिंह एडीएम पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं तथा दादा स्व. श्याम बिहारी सिंह कृषि पदाधिकारी थे। माता विशुद्ध रूप से गृहणी हैं। अपनी बेटी की सफलता पर दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि उन्होंने कभी भी अपनी बेटी को निराश नहीं किया। दो बार असफल होने के बावजूद उनका हौसला बढ़ाया। गरीबों की मदद करना उनके खून में है। उनकी बेटी भी इसी राह पर चलेगी। उसकी सफलता पर पूरा परिवार गदगद है। उनकी बेटी ने परिवार का सपना पूरा किया है।