एक अकेला थक जायेगा मिलकर बोझ उठाना
फोटो : 5, 6 -सैकड़ों ग्रामीणों ने श्रमदान कर बना डाली एक किलोमीटर लंबी सड़क -जनप्रतिनिधियों व प्रश
फोटो : 5, 6
-सैकड़ों ग्रामीणों ने श्रमदान कर बना डाली एक किलोमीटर लंबी सड़क
-जनप्रतिनिधियों व प्रशासन की उपेक्षा से नाराज नारायणपुर के ग्रामीणों ने उठाया कदम
संवाद सूत्र, गालूडीह : साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जायेगा मिलकर बोझ उठाना। साथी..। नये दौर की फिल्म के इस गीत पर अमल करते हुए पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला प्रखंड के नारायणपुर गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने मिलकर मंगलवार को एक किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर दिया। बनकाटी पंचायत के पोड़ाडीह से नारायणपुर की ओर जाने के लिए सड़क ही नहीं थी। इस सड़क के निर्माण के लिए कई बार ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों व प्रशासन से गुहार लगाई,लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। अतत: ग्रामीणों ने इस सड़क का निर्माण अपने ही कर डाला। इसके लिए पहले से पैदल चलने के लिए बनी ग्रामीण सड़क के किनारे से मिट्टी को कोटकर सड़क में डाला गया। ऐसे ही सड़क बनता गया।
यह कार्य नारायणपुर के ग्रामीणों ने 17 वर्ष बाद किया। दरअसल, ग्रामीणों के अनुसार यह ग्रामीण सड़क विवादित सड़क है। यह सड़क तीस वर्ष पुरानी है। इसी ग्रामीण सड़क से नारायणपुर के ग्रामीणों का आना-जाना घाटशिला की ओर होता है। विवादित सड़क होने के कारण आज तक इस सड़क पर मनरेगा या अन्य योजना से सड़क नहीं बन पाई। ग्रामीणों ने मुख्य सड़क के निर्माण के लिए जन प्रतिनिधियों से लेकर उपायुक्त को लिखकर भी दिया था। इसके बाद भू-अर्जन शाखा को 2012 में लिखकर दिया। पर कोई रास्ता नहीं निकला। 10 फरवरी 2015 को ग्रामीणों ने आवेदन ठाकुर प्रसाद मार्डी के नेतृत्व में अनुमंडल पदाधिकारी को सौंपा था। ग्रामीणों ने जल्द सड़क निर्माण की मांग की थी। इसी आवेदन में ग्रामीणों ने यह कहा था कि अगर प्रशासन जल्द ही सड़क बनाने की ओर पहल नहीं करता है तो ग्रामीण खुद सड़क बना डालेंगे। इसके बाद ग्रामीणों ने बैठक कर मंगलवार को यह कार्य करने का लिया। मंगलवार की सुबह से सैकड़ों ग्रामीणों ने समूचे परिवार के साथ श्रमदान से सड़क बनाने के कार्य में जुटे गये और शाम होते-होते यहां सड़क बन भी गयी। नारायणपुर के ग्रामीण इसके लिए कुदाल, गैयती व अन्य सामग्री लेकर सड़क बनाने उतर गये। मौके पर मुख्य रूप से ग्राम प्रधान सोकेन बेसरा, दुर्गा बेसरा, शुकलाल टुडू, बढ़ान मुर्मू, गोपाल मुर्मू, भादो मुर्मू, अर्जुन टुडू, वीरेश मार्डी, सीमंतो मुर्मू, दिलीप मार्डी, वास्ता मार्डी, लक्ष्मण मुर्मू, प्रशांत बेसरा, भोगेन मार्डी, बबलू हेम्ब्रम, गुरुदास बेसरा, विकास मार्डी, प्रकाश बेसरा, लखन मुर्मू, पालू मार्डी उपस्थित थे।
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क्या है विवाद : पोड़ाडीह से नारायणपुर की ग्रामीण सड़क रैयती जमीन पर आती है। इस सड़क पर सनातन महतो, स्व. दशरथ किस्कू, पालू मांझी, गुर्रा मांझी, रंजीत मांझी के जमीन है जिससे ग्रामीण सड़क गुजरी है। सभी रैयतदार आस-पास के गांव के रहने वाले हैं। सभी ने नारायणपुर के ग्रामीणों की खातिर सड़क के लिए जमीन छोड़ दी। लेकिन पालू मांझी नहीं माने। उनके पुत्र बाघराय मुर्मू ने रैयती खेत पर सड़क नहीं बनने दी। जिससे सड़क का निर्माण नहीं हो सका। विवाद के कारण 1998 में 107 भी लगा था। आरोपी में स्व. रामचंद्र बेसरा व 12 अन्य लोगों पर मामला दर्ज हुआ था। पर नारायणपुर के ग्रामीणों ने भी जिद नहीं छोड़ी।
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बारिश में नहीं होती थी शादी
गालूडीह : बारिश के दिनों में लगभग चार माह नारायणपुर के गांव में शादी नहीं हो पाती थी। यहां वाहन तो दूर साईकिल ले जाना भी मुश्किल हो जाता था। आना -जाना बरसात में दुश्वार हो जाता है। इधर, मरीज के लिए भी नारायणपुर से पोड़ाडीह तक गाड़ी नहीं घुसती थी। इस कारण मरीज को उठाकर ले जाना पड़ता था। नारायणपुर में कुल 100 परिवार रहते हैं। जनसंख्या लगभग 600 है और यह आदिवासी बहुल गांव है।