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फास्ट व जंक फूड का बच्चों पर बुरा असर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : फास्ट फूड और जंक फूड की बढ़ती लत बच्चों के सेहत पर बुरा असर डाल सकती है।

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 01:04 AM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 01:04 AM (IST)
फास्ट व जंक फूड का बच्चों पर बुरा असर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : फास्ट फूड और जंक फूड की बढ़ती लत बच्चों के सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। इनमें पोषक तत्वों का उचित संतुलन ना होने की वजह से समुचित पोषण नही मिल पाता है जिसकी वजह से बच्चे मालन्यूट्रीशन का शिकार तो बनते ही है साथ ही ऐसे फूड सामग्री में फैट और कार्बोहाइड्रेड का अनुपात सही ना होने के कारण ओबेसिटी की समस्या भी होती है, ये बाते कही बोकारो से आए डॉ. इंद्रनील चौधरी ने।

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डॉ. इन्द्रनील चौधरी रविवार को बिष्टुपुर स्थित होटल रामदा में आयोजित इंडियन एकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक्स (आइएपी) के वार्षिक सम्मेलन के दौरान बोल रहे थे। सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन शिशु के स्वास्थ्य से संबंधित कई विषयों पर चर्चा हुई। इस दौरान पीजी छात्रों के लिए क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।

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पोषण में कमी बन रहा ओबेसिटी की मुख्य वजह

आइएपी सम्मेलन के दूसरे दिन बच्चों के खानपान, जीवन सैली से जुड़े विभिन्न पहलुओं सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई। डॉ. इंद्रनील चौधरी ने जहां फास्ट फूड और जंक फूड से होने वाले हानियों के बारे में बताया वही रांची के डॉ. पीके गुप्ता ने बच्चों के ओबेसिटी के संबंध में कई बाते बताई। डॉ. पीके गुप्ता ने रोजमर्रा के जीवन में फिजिकल वर्क की कमी, आउटडोर गेम्स की कमी और खानपान में आ रहे बदलाव की वजह से पोषण में आ रही कमी को बच्चों में ओबेसिटी का मुख्य वजह बताया। कोलकाता से आये आर घोष ने सम्मेलन के दौरान महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से बचाव के तरीकों पर भी चर्चा हुई। इसके साथ ही कई कार्यक्रम आयोजित किये गये। जिनमें बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की हुई।

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अलग तरीके से दर्द व्यक्त करते हैं नवजात

डॉ. रमणी ने बताया कि विभिन्न शोध में देखा गया है की छोटे बच्चे यहां तक की नवजात में भी दर्द की संवेदना होती है, पर दर्द को व्यक्त करने का उनका तरीका अलग होता है। उन्होंने कहा कि बच्चे के चेहरों के भाव द्वारा,ह्रदय गति और सांसों की गति में परिवर्तन, मांसपेशियों के संकुचन, शारीरिक गतिविह्रियों में बदलाव के जरिए दर्द को व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा की नर्सरी में वेंटिलेटर पर रखे शिशु भी दर्द की अभिव्यक्ति करते है। डॉ रमणी रंजन ने कहा कि इसके अलग-अलग कारणों का विश्लेषण करके इसका इलाज किया जा सकता है।

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क्विज प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

पीजी छात्रों के लिए क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। क्विज में टीएमएच, टाटा मोटर्स हॉस्पिटल, बोकारो जेनरल हॉस्पिटल और रिम्स रांची के टीम ने हिस्सा लिया। क्विज में टाटा मोटर्स हॉस्पिटल के वेंकट रेड्डी और अमलेंदु की टीम को प्रथम पुरस्कार मिला वही टीएमएच के रम्या मृदुला और एसके महापात्रा की टीम के द्वितीय पुरस्कार मिला। डॉ. सुधीर मिश्रा और डॉ. सरला सुंदर ने क्विज का संचालन किया। प्रोग्राम के अंत में आईएपी का वार्षिक जनरल मीटिंग भी आयोजित की गई। इस दौरान नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। साथ ही अगले वर्ष बोकारो में वार्षिक सम्मेलन आयोजित करने पर भी सहमति बनी।

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यह हैं नए पदाधिकारी

अध्यक्ष :डॉ. फाल्गुणी चटर्जी (बोकारो), उपाध्यक्ष : डॉ. के के चौधरी (जमशेदपुर), सचिव : डॉ. आशीष राय (बोकारो)

कार्यकारी समिति के सदस्य : डॉ. इन्द्रनील चौधरी, डॉ. सरला, डॉ. अशोक, डॉ. राजेश कुमार हैं। देवघर व डाल्टनगंज के स्थान रिक्त रखे गये हैं। केन्द्रीय कार्यकारिणी में राज्य के सदस्य के लिए डॉ. सुधीर मिश्रा का चयन किया गया।


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