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जमशेदपुर कार्निवाल में दिखा नये-पुराने का संगम

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहरवासी जिस खास उत्सव का इंतजार कर रहे थे, उसका आगाज शुक्रवार को हो गया।

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 01:07 AM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 01:07 AM (IST)
जमशेदपुर कार्निवाल में दिखा नये-पुराने का संगम

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहरवासी जिस खास उत्सव का इंतजार कर रहे थे, उसका आगाज शुक्रवार को हो गया। जुबिली पार्क स्थित टाटा स्टील के संस्थापक जेएन टाटा की मूर्ति के सामने से जमशेदपुर कार्निवाल की परेड निकली, जिसका समापन गोपाल मैदान में हुआ। इसे अनुमंडलाधिकारी धालभूम प्रेम रंजन व टाटा स्टील के वाइस प्रेसीडेंट (शेयर्ड सर्विसेज) सुरेश कुमार ने झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर जुस्को के प्रबंध निदेशक आशीष माथुर के साथ जुस्को के कई पदाधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे। लगातार दूसरे वर्ष आयोजित कार्निवाल की परेड में गीत-संगीत से लेकर लोकनृत्य के जीवंत प्रदर्शन तो हुए ही, विंटेज (पुरानी) कारें और द्वितीय विश्वयुद्ध में परचम फहराने वाला 'टाटानगर टैंक' नए-पुराने का संगम प्रदर्शित कर रहा था। टाटा मोटर्स के प्रतिनिधि मो. शमशाद ने कहा कि यह शहर छोटा जरूर है, लेकिन इसके पास गर्व करने लायक बहुत सी चीजें हैं। परेड में झारखंड की सर्वाधिक नृत्य शैली 'छऊ' के साथ पंजाब का 'भंगड़ा', छत्तीसगढ़ का 'राउत नाच', नेपाल का 'खुखरी नृत्य' आदि के अलावा ट्रेलर पर 'रॉक बैंड' भी लोगों को थिरका रहा था। लोगों ने पुराने जमाने में शादी-ब्याह के दौरान होने वाले कठघोड़वा का नाच भी देखा तो बारिश के दिनो में बांस पर चलने वाले जगलर भी थे। परेड में कुछ साइकलिस्ट भी थे, तो सबसे अंत में सेना का बैंड, एनसीसी और गाइड की छात्राएं थीं। नवकांत झा ने बताया कि परेड में टाटा स्टील से अर्बन सर्विसेज की नौ टीम शामिल हैं, खेल विभाग की ओर से कराटे की टीम प्रदर्शन कर रही है। इस अवसर पर सिंहभूम चैंबर के अध्यक्ष सुरेश सोंथलिया, रोनी डिकोस्टा, स्मिता पारिख, विजय मेहता, प्रभाकर सिंह, नंदकिशोर अग्रवाल, भरत वसानी, सत्यनारायण अग्रवाल आदि समेत कई लोग उपस्थित थे।

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टाटानगर टैंक रहा आकर्षण

जमशेदपुर कार्निवाल की परेड में वैसे तो देखने लायक बहुत कुछ था, लेकिन लोगों के आकर्षण का केंद्र टाटानगर टैंक था। 1941-42 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यह टैंक भारतीय सेना के लिए टाटा मोटर्स में बनाया गया था। इसे एक बार फिर नए रूप में हूबहू प्रस्तुत किया गया। इस टैंक का उपयोग भारतीय सेना ने उत्तरी अफ्रीका में तो किया ही था, सीरिया, मलाया व इटली में भी किया। भारत के अलावा उस युद्ध में इसका इस्तेमाल 18वीं ब्रिटिश इंफेंट्री डिवीजन, 8वीं आस्ट्रेलियन इंफेंट्री डिवीजन व रायल न्यूजीलैंड आर्टिलरी ने कोरिया में किया था। अपनी युद्धक क्षमता की वजह से द्वितीय विश्वयुद्ध में टाटानगर टैंक विभिन्न देशों की सेना में काफी लोकप्रिय रहा। टाटा मोटर्स ने 72 वर्ष पुराने इस टैंक के दो मॉडल का जीर्णोद्धार किया, जिसे टाटा संस के चेयरमैन साइरस पी. मिस्त्री ने तीन मार्च 2014 को टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन को भेंट किया था। इसका एक मॉडल टाटा मोटर्स व दूसरा टाटा स्टील में धरोहर के रूप में रखा गया है।


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