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थोड़ी सी सावधानी, ठंड में बीमारियां मांगें पानी

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : ठंड में यदि आप थोड़ी सावधानी बरतेंगे तो बीमारी आपके पास भी नहीं फटकेगी।

By Edited By: Published: Thu, 20 Nov 2014 01:33 AM (IST)Updated: Thu, 20 Nov 2014 01:33 AM (IST)
थोड़ी सी सावधानी, ठंड में बीमारियां मांगें पानी

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : ठंड में यदि आप थोड़ी सावधानी बरतेंगे तो बीमारी आपके पास भी नहीं फटकेगी। स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाने वाला ठंड का मौसम कई जानलेवा बीमारी की आशका भी बढ़ा देता है।

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हृदय रोग, अस्थमा, उच्च रक्चाप व मधुमेह रोगियों के लिए तो ठंड कई बार खतरनाक साबित होती है। बच्चों, बुजुर्गो, गर्भवती महिलाओं व जटिल रोग से पीड़ित लोगों के लिए भी ठंड मुसीबत बन सकती है, लेकिन खानपान में सावधानी बरत कर न केवल जटिलताओं से बचा जा सकता है, बल्कि सेहत भी बनाई जा सकती है। स्वस्थ रहने के लिए विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह हम आप तक पहुंचा रहे हैं। इन पर अमल करें और अच्छे स्वास्थ्य के साथ ठंड का आनंद लें..

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टहलने वाले दें ध्यान

-धूप निकलने के पहले व सूर्योदय के बाद घूमने न निकलें।

-शरीर का कोई अंग खुला न रखें, पूरे शरीर को ठीक से ढंक कर बाहर निकलें।

-मधुमेह रोगी स्पो‌र्ट्स शूज व सूती मोजे पहन कर ही बाहर निकलें।

-खाली पेट घूमने न जाएं, क्योंकि अधिकाश मधुमेह रोगियों में हाइपरटेंशन की समस्या होती है।

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गर्भवती महिलाएं दें ध्यान

-स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. निशा यादव ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को ठंड में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

-वायरल की आशका बढ़ जाती है, ठंड से बचें।

-तेज बुखार से बच्चे को समस्या हो सकती है।

-क्रोसिन घर में रखें और बुखार आने पर उसे लें।

-कोई भी एंटीबायोटिक खुद न लें।

-सुबह-शाम गर्म पानी से गरारा जरूर करें।

-नींबू प्रजाति के फल छोड़ कर अधिक ठंड होने पर फलों का सेवन न करें।

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सर्दी भगाते हैं ये घरेलू उपाय

-खाने में अदरक, लहसुन, शहद, दालचीनी, जायफल आदि का सेवन जरूर करें।

-एक कप दूध में चुटकी भर हल्दी और दो-तीन साबुत काली मिर्च डालकर उबालें। दूध को थोड़ा-सा ठंडा करें और सोने से पहले पी लें।

-दिन भर में दो बार स्टीम लें। पानी उबालते वक्त उसमें चुटकी भर हल्दी, आधी चम्मच अजवाइन और तुलसी के तीन-चार पत्ते डालें। कम से कम सात से 10 मिनट तक स्टीम लें।

-ठंडे पानी की जगह नियमित अंतराल पर गुनगुना पानी पीएं।

-पानी उबालते वक्त उसमें अदरक डालें। जब पानी थोड़ा सा ठंडा हो जाए तो उसमें नीबू का रस और उसके बाद शहद डाल कर पीएं।

-दो कप पानी में आधी चम्मच अजवाइन डालें और पानी को उस वक्त तक उबालें, जब तक पानी उबलकर आधा न हो जाए। पानी को ठंडा करें और पी लें।

-गैस की आच पर पान के पत्ते के बीच लौंग डालकर पान के पत्ते को जलाएं। गैस ऑफ करें और शहद में पान और लौंग की राख मिलाकर खाएं।

-प्याज का ऊपरी हिस्सा काटकर हटा दें और प्याज के भीतर चीनी भरकर उसे रात भर के लिए छोड़ दें। सुबह प्याज से निकलने वाले सिरप को पिएं।

-तुलसी, इलाइची, चुटकी भर केसर, सौंफ, बड़ी इलाइची और अदरक के टुकड़े को एक कप पानी में उबालें। जब एक चौथाई पानी बच जाए तो पानी को छान लें और पानी पी लें।

-अदरक के जूस को शहद में मिलाएं और नियमित अंतराल पर पीएं।

-पानी में यूकेलिप्टस का पत्ता या तेल डालकर उबालें और उस पानी से स्टीम लें।

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मोटे अनाजों का सेवन जरूरी

-ज्वार, बाजरा, रागी, साबुत दालों, साबुत अनाजों को इस्तेमाल जरूर करें।

-यदि लिपिड प्रोफाइल में आइजी बढ़ा है तो मूफा व एन-3 का सेवन जरूर करें।

-एलडीएल कोलेस्ट्राल बढ़ा हो तो मूफा-फाइबर जरूरी है। यह राइसब्रान, वीट जर्म, पिस्ता, हरी बींस, पत्तेदार सब्जिया, खट्टे फल में मिलता है।

-मधुमेह रोगी रोज रात में गर्म पानी से दो चम्मच ईसबगोल जरूर लें।

-अंडे का सफेद भाग, मछली, मुर्गा आदि खा सकते हैं।

-ऑलिव ऑयल, कनोला, पी-नट, सी-सेम, राइसब्रान, सफोला, सन फ्लावर, कोर्न, अलसी के तेल का सेवन जरूर करें।

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इन्हें खाने से बचें

-डायबिटिक च्वयनप्राश नहीं खाएं।

-तली-भुनी चीजों का सेवन कम करें।

-अधिक समय तक भूखे न रहें, क्योंकि चीनी कम होने से ज्यादा मिनरल रिलीज होते हैं।

-मधुमेह या हृदय रोगी अंडे के पीले भाग, लाल मास, ऑर्गन मीट जैसे कलेजी, गुर्दा, ब्रेन आदि का सेवन न करें।

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नशे में गर्मी न तलाशें मधुमेह रोगी

जाड़ों में लोग खुद को गर्म रखने के लिए शराब, निकोटिन और मादक द्रव्यों का इस्तेमाल बढ़ा देते हैं। यह लोगों की गलत धारणा है और फायदे की जगह नुकसान ही होता है। मयंक-मृणाल हॉस्पिटल के डॉ. मनोज कुमार के अनुसार मधुमेह रोगी यदि सिगरेट का सेवन करते हैं तो ठंड में पहले से सिकुड़ी रक्त नली की संवेदना और कम हो जाती है। इससे हार्ट अटैक, डायबिटिक फुट के रोगियों में पाव के अल्सर व न्यूरोपैथी की शिकायत हो सकती है। साथ ही शरीर की रोग प्रतिरक्षण क्षमता घट जाती है।

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हृदय रोगी बरतें खास सावधानी

ब्रह्मानंद नारायणा हृदयालय के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अभय कृष्ण के अनुसार दिल के मरीजों को जनवरी तक खास सावधानी बरतनी चाहिए।

-ठंड की सुबह के तीन घटे दिल व हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए खतरनाक होते हैं।

-सर्दियों की सुबह में ब्लड प्रेशर न केवल तेजी से बढ़ता है बल्कि तेजी से गिरता भी है।

-हृदयाघात, ब्रेन हैमरेज, नकसीर और पैरालिसिस के सर्वाधिक मामले ठंड में ही आते हैं।

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ठंड में क्यों बढ़ता है ब्लड प्रेशर

विशेषज्ञों के अनुसार ठंड में अल्फा रिसेपटर्स के ज्यादा काम करने से ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है। इसके अलावा ठंड में लोग देर से उठते हैं। मॉर्निग वाक व व्यायाम कम करते हैं और नमक, नमकीन व चटपटी चीजें ज्यादा खाते हैं। साथ ही पसीना न निकलने से शरीर का नमक बाहर नहीं निकल पाता। यही नहीं चाय-काफी, सिगरेट व शराब का सेवन भी बढ़ जाता है। कुल मिलाकर हम वह सारे काम करते हैं जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने का मतलब है हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज, नकसीर और पैरालिसिस का खतरा।

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बच्चे-बूढ़े आसान शिकार

डॉ. उमेश खां के अनुसार छोटे बच्चे और बुजुर्ग ठंड के आसान शिकार हैं। इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से सर्दी-जुकाम, बन्द नाक, निमोनिया, कोल्ड डायरिया, बुखार, गले और कान में इंफेक्शन जैसी समस्याएं होती हैं।

-पसीना न निकलने व एक ही जगह एकत्र होने से इंफेक्शन की आशका बढ़ जाती है।

-बच्चों में खासतौर से निमोनिया व वायरल डायरिया की शिकायत बढ़ जाती है।

-बुजुर्गो में बीपी बढ़ने, हृदयाघात व ब्रेन हैमरेज की शिकायत रहती है।

-श्वास रोगियों में दमफुलनी या दमे की परेशानी बढ़ जाती है।

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बढ़ जाता जोड़ों का दर्द

अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. एबीके बाखला के अनुसार जाडे़ में नसों में रक्त प्रवाह बाधित होने से जोड़ों की समस्याएं, खास तौर पर रूमेटाइड आर्थराइटिस का प्रकोप बढ़ जाता है।

-बचाव के लिए बुजुगरें और महिलाएं ठंड से बचें।

-गुनगुने पानी से ही नहाएं

-शरीर के किसी भी हिस्से को खुला न छोड़ें।

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नाक-कान और गले पर निशाना

डॉ. मनोज कुमार की माने तो बुजुगरें और बच्चों को ठंड में सावधानी बरतनी चाहिए।

-सर्दी में वायरस और बैक्टीरिया बहुत तेजी से सक्रिय होते हैं।

-एलर्जिक राइनोटिस के अटैक से नाक में सूजन का खतरा रहता है।

-नाक जाम होने से कान में दर्द हो सकता है।

-ठंडा पीने से टासिल की शिकायत।

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बरतें एहतियात

-नमक का प्रयोग कम करें।

-एक्सरसाइज नियमित रूप से करें

-तले-भुने की जगह संतुलित भोजन करें।

-ध्यान-योग व प्राणायाम करें।

-डाक्टर की बताई दवाओं का सेवन करें।

-ठंड से बचें, बाहर जाएं तो शरीर को ढंक कर निकलें।

-बाइक चालक सिर के साथ गर्दन व यथासंभव मुंह ढंक कर चलें।

-चेस्ट इंफेक्शन, घरघराहट की अनदेखी न करें।

-वोमेटिंग या पतला स्टूल आए तो सावधान हो जाएं।

-शरीर व घर की साफ-सफाई का ध्यान रखें।

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कानदर्द भी करता नौनिहालों को परेशान

एमजीएम के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके चौधरी के अनुसार सर्दी में नजले, जुकाम के कारण कान के मध्य भाग में संक्रमण हो जाता है जिसको 'ओटाइटिस मीडिया' कहते हैं। दूसरी ओर मा लेटे-लेटे बच्चों को दूध पिलाती हैं, जिससे वह कान में चला जाता है। इन दोनों का यदि समय से उपचार न किया जाए तो पर्दे के पीछे मवाद पड़ जाती है जो कभी-कभी पर्दे को गला देती है तथा कान से मवाद आने की समस्या हो जाती है। इसमें तेज दर्द व सुनने की क्षमता में कमी हो जाती है।

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बचाव :::::::::::::::

यह बीमारी बड़ों की अपेक्षा बच्चों में अधिक होती हैं। अत: सर्दी के मौसम में बच्चों को ठंड से बचाना आवश्यक है जिससे उनको नजला, जुकाम न हो और कान के इन्फेक्शन को रोका जा सके।

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रखें ध्यान :::::::::::::

-नवजात को कपड़ों से ढंक कर रखें तो बच्चों को सुबह-शाम ठीक से कपड़े पहना कर ही खेलने बाहर जानें दें।

-जरूरत पड़े तो नवजात को ठीक से ढंक कर ही बाहर जाएं।

-सिर, हाथ-पैर तो अवश्य ढंके होने चाहिए।

-बच्चे को बाइक पर आगे बिठाकर न चलें।

-दूध हो या खाना, उन्हें हमेशा गर्म व ताजा दें।

-न्यूली बॉर्न बेबी का नैपी पैड चेंज करते रहें।

-वायरल डिजीज होने पर डॉक्टर से दिखाएं।

-किसी भी स्थिति में सेल्फ मेडिसीन न दें।

-चेस्ट इंफेक्शन, घरघराहट की अनदेखी न करें।

-उल्टी या पतला स्टूल कर रहा हो तो सर्तक हो जाएं।


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