पटाखे से जा सकती आंखों की रोशनी
जमशेदपुर : पर्व-त्योहार खुशी मनाने के लिए होते हैं लेकिन कभी-कभी हमारी जरा सी असावधानी से खुशी गम मे
जमशेदपुर : पर्व-त्योहार खुशी मनाने के लिए होते हैं लेकिन कभी-कभी हमारी जरा सी असावधानी से खुशी गम में बदल जाती है। त्रेता युग में भगवान राम जब लंका पर विजय प्राप्त कर वापस अयोध्या पहुंचे तो घर-घर में दीए जलाकर खुशी मनाई गई थी लेकिन, मुगलकाल में जब बारूद का उपयोग शुरू हुआ तो आतिशबाजी का चलन शुरू हो गया। धीरे-धीरे दीपावली के अवसर पर दीए जलाने के साथ-साथ पटाखे फोड़ने का भी चलन हो गया। आज के दौर में दीए बिजली के बल्ब में बदल गए और पटाखे फोड़ना स्टेटस सिंबल बन गया। पटाखे फोड़ने के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के बावजूद पटाखों का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। लोग अपने बच्चों को फुलझड़ी जैसे साधारण पटाखे देकर सोचते हैं कि इससे कोई खतरा नहीं है। लेकिन, अक्सर इनकी वजह से आंख की रोशनी तक चली जाती है।
टाटा मेमोरियल अस्पताल के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. केपी दूबे कहते हैं किवैसे तो पटाखे फोड़ने ही नहीं चाहिए क्योंकि इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है और लोग दुर्घटनाग्रस्त भी होते हैं लेकिन यदि हल्के पटाखे भी फोड़ते हैं तो कुछ सावधानी बरतें।
बरतें सावधानी
1. छोटे बच्चों के हाथ में न दें पटाखे।
2. जब बच्चे पटाखे छुड़ाएं तो उनके पास ही रहें।
3. पटाखे छुड़ाते समय पूरी आस्तीन की शर्ट पहनें।
4. पटाखे और अपने शरीर के बीच दूरी बनाकर रखें।
5. यदि किसी की आंख में पटाखे का कण चला जाए तो जबरन उसकी आंख खोलकर न देखें। जबरन आंख खोलने से उसमें हुआ जख्म गहरा हो सकता है।
6. यदि आंख आसानी से खुल रही हो तो उसे कुछ देर तक कपड़े से ढककर रखें।
7. आंख न खुल पाने की स्थिति में जान लें कि गहरा जख्म हुआ है। ऐसे में जनरल फिजीशियन या मेडिकल स्टोर से दवा न लेकर तुरंत किसी नेत्र विशेषज्ञ के पास जाएं।