पति की प्रेरणा से बनीं बिजनेस वूमेन
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : किसी ने ठीक कहा है-खुदी को कर बुलंद इतना कि खुदा बंदे से पूछे, बता तेरी रजा क्या है। नीलडीह की रहने वाली बिंदू और कोमल रिश्ते में देवरानी व जेठानी हैं, लेकिन इनके बीच प्यार को देखते हुए यह एकबारगी सगी बहनें लगतीं है। इसी प्यार की बदौलत आज बिजनेस वूमैन बन बाजार में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं।
कैनवास मेले में रैमसे चॉकलेट आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। आज ब्रांड के युग में गुणवत्ता के दम पर रैमसे चॉकलेट बाजार में अलग पहचान बना चुकी है। कोमल आहूजा एमएनपीएस में शिक्षिका हैं और बिंदिया गृहणी। एक दिन पतियों ने कहा कि आप लोग भी घर बैठे कुछ क्यों नहीं करतीं है। पतियों ने कहा, चॉकलेट ऐसा उत्पाद है, जिसकी आज सबसे ज्यादा मांग है। बर्थ डे हो या शादी या फिर त्योहार, गिफ्ट में चॉकलेट देने का चलन बढ़ता जा रहा है। क्यों न हम इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए। शुरुआत में यह दुरूह सफर लग रहा था। लेकिन पतियों की प्रेरणा ने राह आसान कर दी। कोमल आहूजा ने कहा कि जब अपने इस प्रस्ताव को एमएनपीएस की प्राचार्या आशु तिवारी से शेयर किया, तो उन्होंने भी हमें प्रेरित किया। ब्रांडेड चॉकलेट के बाजार में होम मेड चॉकलेट का जगह बनाना आसान नहीं था। हमने क्वालिटी पर जोर दिया। पहली बार 2013 में कल्याणी मेले में स्टॉल लगाया। ग्राहकों की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली। हौसला बुलंद हो गया। मार्च 2014 में स्वदेशी मेले से भी अच्छा रिस्पांस मिला। बिंदु के पति मार्गदर्शक की भूमिका में थे। कैनवास मेले में रैमसे का होममेड चॉकलेट को काफी ऑर्डर मिले हैं। आकर्षक रैप चॉकलेट की खूबसूरती को दोगुना कर देता है। जब कोमल से पूछा गया कि ब्रांडेंड चॉकलेट के दौर में बाजार में होममेड चॉकलेट स्थान बना पाएगा। उन्होंने कहा-लिज्जत पापड़ भी कभी होममेड हुआ करता था, लेकिन आज यह ब्रांड है। इंतजार कीजिए, रैमसे चॉकलेट भी अपनी पहचान बना लेगा। यहां सभी वर्गो के लिए चॉकलेट उपलब्ध है। 20 रु. से 800 रु. तक के रेंज में चॉकलेट मिल जाएंगे। लिक्विड चॉकलेट से लेकर डायबेटिक रोगियों के लिए विशेष चॉकलेट मिल जाएंगे।