कभी बातचीत नहीं कर पाए रत्नेश राज
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : 10 मार्च को गोविंदपुर के घोड़ाबांधा स्थित गुरु कृपा अपार्टमेंट के सामने अपराधियों की गोली से घायल हुए रत्नेश राज की जुबां घटना के दिन से जो बंद हुई, वह कभी नहीं खुली। टाटा स्टील के मैनेजर रत्नेश राज बीते 13 मार्च से मेदांता, गुड़गांव में इलाजरत थे। होश आता था पर वे बातचीत नहीं कर पाते थे। आंखें खोलते थे। सभी की पहचानते थे, लेकिन बोल नहीं पाते थे।
यह जानकारी रत्नेश के चाचा एके ओझा ने बातचीत में दी। बताते चलें कि गोविंदपुर के घोड़ाबांधा में 10 मार्च को अपराधियों ने रत्नेश को गोली मार दी थी। गोली से घायल हुए रत्नेश राज की मौत बुधवार की सुबह 11.30 बजे गुड़गांव में हो गई थी।
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लीवर मे हो गया था इंफेक्शन
पेट में गोली लगने के कारण ऑपेरशन हुआ तो पर रत्नेश की लीवर में इंफेक्शन हो गया था। इसके बाद छोटा आपरेशन हुआ था। स्थिति में सुधार भी होता रहा, पर वे बच नहीं पाए।
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दिल्ली में हुआ रत्नेश का अंतिम संस्कार
एके ओझा ने बताया कि रत्नेश राज के शव का अंतिम संस्कार दिल्ली के लोधी रोड स्थित शमशान घाट पर कर दिया गया। रत्नेश के माता-पिता एवं बहन भी दिल्ली पहुंचे थे। शव के अंतिम संस्कार में टाटा स्टील के दिल्ली आफिस के अधिकारी भी शामिल हुए।